छत्तीसगढ़

नागरिक अधिकार और पूर्ण स्वतंत्रता आज भी अपेक्षित – प्रो यादव
पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी पुण्यतिथि पर समारोह


रायपुर। पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी पुण्यतिथि पर आज प्रेस क्लब में आयोजित विमर्श में मुख्य अतिथि मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के पी यादव ने कहा कि जो सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था वह आज भी पूरा नहीं हो सका है। समता और नागरिक अधिकार के मामले में हम आज भी पीछे हैं। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश पंकज ने की।
मुख्य अतिथि मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ के पी यादव ने कहा कि आजादी के पहले ही किसी परिवार ने अपने बच्चों के नाम स्वराज्य, स्वतंत्रत और स्वाधीन रखकर जोखिम भरा किंतु भारत की अस्मिता के लिए महत्वपूर्ण था। आज स्वतंत्रता, आजादी, स्वराज्य और स्वाधीनता शब्द एक दूसरे के पर्याय हो चुके हैं जबकि इन शब्दों में अलग अलग अर्थ विशेषताएं हैं।‌ नागरिक आज भी पूर्ण स्वतंत्रता के लिए उत्सुक हैं। आज भी समता और अधिकार के लिए संघर्षरत हैं।समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्री गिरीश पंकज ने कहा कि वे हमारे समकालीन पत्रकारों के संरक्षक थे। उनका सान्निध्य पाकर तत्कालीन युवाओं ने संस्कारवान पत्रकारिता की शिक्षा ली। पत्रकारिता और साहित्य का समन्वय उनके समय की बड़ी देन है। आज भी उनका मार्गदर्शन नयी पीढ़ी की थाती थे। उनके परिवार का योगदान अतुलनीय है। कबीर जनसंचार विकास केंद्र कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला ने कहा कि उनकी कविताओं ने आजादी के आंदोलन और बाद की भारतीय राजनीति और समाज को जागृत किया। उनकी रचनात्मकता विश्वविद्यालय की तरह थी।
पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी की पुण्यतिथि पर आज प्रेस क्लब में पत्रकारों और साहित्यकारों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रेस क्लब और छत्तीसगढ़ मित्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विमर्श के प्रारंभ में डॉ सुशील त्रिवेदी ने पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी के समग्र योगदान को रेखांकित किया। सन 1942 से सक्रिय पत्रकार पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने लेखन के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में रचनात्मक भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण में और पत्रकारिता के विकास में पं त्रिवेदी ने बड़ी भूमिका अदा की। डॉ सुधीर शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ मित्र ने पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी पर विशेष अंक प्रकाशित किए हैं। पं त्रिवेदी पत्रकारिता की पाठशाला के निर्माता थे। वरिष्ठ इतिहासकार डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि पं त्रिवेदी मेरे अध्यापक थे। वे एक लोकप्रिय शिक्षक थे। वे छत्तीसगढ़ में सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना के संवाहक थे। स्वातंत्र्य समर में छत्तीसगढ़ के पत्रकारों और लेखकों ने महत्वपूर्ण योगदान किया। सप्रेजी की परंपरा को पं त्रिवेदी ने विस्तार दिया।
इस अवसर पर अरविंद मिश्रा, डॉ माणिक विश्वकर्मा, उधोग साहू, शाश्वत गोपाल, शिरीष त्रिवेदी, प्रेस क्लब के सदस्य और पं त्रिवेदी परिवार के लोग उपस्थित थे।प्रेस क्लब के अध्यक्ष दामू आम्बेडारे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता भारत में मिसाल रही है। साहित्य और पत्रकारिता के समन्वय का प्रयास प्रेस क्लब कर रहा है। आज की पत्रकारिता से गंभीरता, अध्ययन और विश्लेषण की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है। छत्तीसगढ़ के पुरोधा पत्रकारों से हमें सीख लें।अंत में शिरीष त्रिवेदी ने आभार व्यक्त किया।

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