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बुद्ध पूर्णिमा विशेष : बुद्ध ने कहा पहले जानो फिर मानो,धर्म, स्वर्ग, नर्क, अवतार की धारणा को नकारा!

मिहिर कुर्मी

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, पौराणिक में प्रतिकात्मक रूप से इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में ‘कुशनारा’ में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था

गौतम बुद्ध को दार्शनिक नहीं दृष्टा माना जाता है।बुद्ध ने किसी दर्शन का सूत्रपात्र नहीं किया, वे पारम्परिक नहीं मौलिक है, उन्होंने ध्यान पर विशेष जोर दिया। वे कहतें हैं कि वेदों में लिखा है तो मान लो और मैंने कहा है तो भी मान लो, नहीं,सत्य को पहले जानो फिर मानो। बुद्ध ने धर्म, स्वर्ग और नर्क की बात कभी नहीं कही। उन्होंने अवतार की धारणा और मूर्ति पूजा को भी नाकारा।

बुद्ध ने अपने जीवन में बहुत बोला पर ईश्वर के बारे में हमेशा चुप रहे।गौतम बुद्ध कहते हैं सोचो विचारों विश्लेषण करो खोजो अपने अनुभव से भरोसा कर लेना।

बुद्ध ने अपने जीवन में बहुत बोला पर ईश्वर के बारे में हमेशा चुप रहे। गौतम बुद्ध कहते हैं सोचो विचारों विश्लेषण करो खोजो अपने अनुभव से भरोसा कर लेना।
पिछले 2500 वर्ष में बुद्ध अतुलनीय हैं, बुद्ध की कुछ बात ऐसी है की उन्होंने अभी अभी कही है।

सफलता आदमी की जिंदगी क्या है, कुछ सपने कुछ टूटे-फूटे सपना अभी भी साबित भविष्य की आशा में अटके आदमी को पूरा होना क्या है चले जाते हैं काम करते हैं कुछ पक्का पता नहीं क्यों कुछ साफ जाहिर नहीं कहां जा रहे हैं बहुत जल्दी में भी जा रहे हैं।
आदमी बिना झूठ के जी नहीं सकता, झूठ सहारा है, कोई रास्ता नहीं है क्योंकि झूठी मंजिलों की कहानी कोई रास्ते होते हैं तो रास्ता कैसे हो सकता है तो फिर हम रास्ता भी बना लेते हैं सब कल्पित सब माया के जाल और ऐसे अपने को भर लेते हैं और लगता है सुन्न भर गया।

कितने झूठ तुमने बना रखे हैं,लड़का बड़ा होगा,शादी होगी बच्चे होंगे धन कमायेगा,यश पाएगा और तुम मर रहे हो और तुम्हारे बाप भी ऐसे ही मरे कि तुम बड़े होगे, तुम्हारी शादी होगी, हमें सुख देगा और तुम्हारा लड़का भी ऐसे ही सोच कर मरेगा , जिंदगी बड़ी भरी पूरी जा रही है बाप बेटे के लिए मर जाता है बेटा अपने बेटे के लिए मर जाता है ऐसे ही एक दूसरे पर मरते चले जाते हैं कोई अपने लिए जीता नहीं, जीना इतना आसान नहीं, लोग सोचते हैं 70-80 साल जीना होता है और बिना झूठ के तुम जीना नहीं जानते हो, यश,पद,प्रतिष्ठा,सफलता, धन जब इनसे चूक जाते हो तो मोक्ष, स्वर्ग, धर्म,परमात्मा, आत्मा,ध्यान,समाधि पर तुम कुछ ना कुछ झूठ पाले रखते हो ताकि अपने को भ्रम में रखो। बुद्ध का सारा जोर झूठ से खाली हो जाने पर रहा।

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