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पटवारी कौशल यादव जिस जमीन की जाँच मे दोषी उस जमीन मे जीजा ओर साले का कनेक्शन?

खसरा नंबर 992/9 जमीन जो शासकीय पट्टे से प्राप्त है बिना कलेक्टर अनुमति खरीदी बिक्री हुई थी।

कौशल यादव को सिर्फ निलबित किया गया था जबकि उसने अपने पद का दुरपयोग किया उस पर कड़ी कार्यवाही क्यो नही हुई?

पत्रकार महफूज खान की रिपोर्ट

बिलासपुर:- जमीनो का खेल भी बड़ा निराला है अभी तक अधिकारी कर्मचारियों के नाम आते रहे लेकिन अब रिश्तेदारो के नाम भी आ रहे है कौशल यादव पटवारी जिसकी शिकायतों की लिस्ट बड़ी लम्बी है मुंगेली से लेकर बिलासपुर तक न जाने कितनी शिकायत उनके नाम पर उच्चाधिकारियो के पास है कुछ् मे जाँच हो गई इसमे दोषी पाये गये कुछ् शिकायत मे जाँच चल रही है आपको बताना चाहता हुं पटवारी कौशल यादव जिस मामले मे निलंबित हुए थे उस जमीन का एक टुकड़ा उनके जीजा किशन यादव के नाम पर है जिसकी रजिस्ट्री मे गवाही उनकी पत्नी पूजा के सगे चाचा के बेटे सुरज यादव ने दस्तखत किये है जिसकी जाँच होनी चाहिए की आखिर इस जमीन मे रिश्तेदारो का पैसा लगा है या खुद कौशल यादव का जो अपने रिश्तेदारो के नाम पर जमीन लिया है प्रशासन को इसके लिए भी जाँच कमेटी बनानी चाहिए ।

मामला ये है-:

प्रकाश सिंह अधिवक्ता के द्वारा एक शिकायत अनुवीभागीय अधिकारी बिलासपुर को लगाई मोपका का जिसमे खसरा नंबर 992/9 है नामांतरण पंजी मे अज्ञात व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर कर नामांतरण की शिकायत के साथ
शासकीय पट्टे से प्राप्त जमीन की हे जिसकी बिक्री बिना कलेक्टर के अनुमति बिक्री नही की जा सकती है जमीन को बिना बिक्री बेचा गया है जिसमे कौशल यादव के जीजा किशन यादव ने भी 1 एकड़ जमीन खरीदी है इसके अलावा अन्नू मसीह पति प्रवीण मसीह,सुनील सिंह,पिता अशोक सिंह,विक्रेता श्रीमती विमला देवी पति हरवंश आजमानी की जमीन जिसको कलेक्टर की बिना अनुमति के खरीदी बिक्री नही किया जा सकता था लेकिन इस जमीन को बेचा गया उसमे कौशल यादव ने नामांतरण किया जो एक दंडनीय अपराध की श्रेणी मे आता है लेकिन प्रशासन ने उसे सिर्फ निलंबित किया जबकि उस पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए ।

प्रशासन ने दूसरे जिले ट्रांसफर कर अपना पल्ला झाड़ा:-

कौशल यादव पर दो दो मामलो पर दोषी पाए गये हे लेकिन प्रशासन,शासन इस व्यक्ति पर कड़ी कार्यवाही करने से क्यो कतराता रहा ये बड़े सोचनीय बात है जिस मामले मे दोषी है उसमे उसे सिर्फ निलंबित किया गया और आगे कार्यवाही न करनी पड़े तो उसको जिले से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन इसमे प्रशासन के साथ सरकार की भी किरकिरी हो रही है आमजनता मे चर्चा है कि जिस पटवारी का दोष सिद्ध हो चुका उच्चाधिकारियों ने जाँच मे दोषी पाया उसके बाद भी कड़ी कार्यवाही न करना शासन,प्रशासन को कटघेरे मे खड़ा करता है ?

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