कांग्रेस की पार्टी वादा करके दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की अधिकार को कुचल रही है-रामकुमार सिन्हा

रायपुर। छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा ने बताया की कांग्रेस की पार्टी ने सत्ता में आने के पूर्व लोकलुभावन जन घोषणा पत्र तैयार करके कुर्सी पर कब्जा कर लिया, जन घोषणा पत्र के बिन्दु क्रमांक 11.में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का रिक्त पदों पर नियमितीकरण करने का वादा किया है! जिसके झांसा में आकर 18,000 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने तथा उनके आश्रित परिवार ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुये मतदान किया था किन्तु सत्तासिन होने के बाद मुख्यमंत्री व उनके मंत्री विधायक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के दुख को भुल गये ! दिनांक 11.12.2019 को मनोज कुमार पिंगुआ प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उधोग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग की अध्यक्षता में कमेंटी गठित हुआ है। उस कमेंटी द्वारा केवल उमादेवी प्रकरण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मंथन कर अंतिम अभिमत हेतु महाधिवक्ता उच्च न्यायालय बिलासपुर को पत्र भेजा गया है।जब कांग्रेस की पार्टी जन घोषणा पत्र तैयार किया था उस समय महाधिवक्ता से अभिमत विचार विमर्श करके ही जन घोषणा पत्र तैयार किया जाना था किन्तु उस समय सत्ता के भुख ने यह सब सोंचने नही दिया जब नियमितीकरण करने की बारी आ रहा है तो अभिमत की याद आ रही है! जब सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि एक बार के लिये ही नियमितीकरण करना है तो छत्तीसगढ़ में ही आदिम जाति विकास विभाग में तीन साल वालों को छात्रावास में क्यों नियमितीकरण किया गया है! मुख्यमंत्री निवास में कार्यरत 25दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को मुख्यमंत्री के अनुसंशा पर नियमितीकरण किया गया है, क्या यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अवमानना नही है! प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद वर्मा ने बताया की पिंगुआ कमेटी ने केवल औपचापिक्ता वस जानकारी मंगाया है, ताकि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी/संविदा/अनियमित कर्मचारी भ्रमित होते रहे, और नियमितीकरण से वंचित रहे अगर सरकार नियमितीकरण नही करना चाहता है।


मुख्यमंत्री जी घोषणा कर दें कि मेरे सरकार में नियमितीकरण करने का क्षमता नही है सभी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हड़ताल से वापस हो जायेंगें! शासन प्रशासन गुमराह ना करें, झुठे वादे करके किसी के भविष्य के सांथ खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नही है, वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी 25 दिनों से हड़ताल में बैठे है वनमंत्री कहता है कि मैं कुछ नही कह सकता मैं झुठा आश्वासन नही दुंगा, जो करेगा मुख्यमंत्री ही करेगा क्योंकी पालिसी मेटर है, सभी विभाग का मामला है करेगा या नही इसके बारे में मुख्यमंत्री ही निर्णय लेगा कहता है! देखते है गंगाजल का मान रखेगा कांग्रेस की पार्टी या बयर्थ जाने देगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिसकी सेवाअवधी 10 वर्ष पूर्ण हुआ है उसकी नियमितीकरण किया जावेगा, मध्यप्रदेश में कमलनाथ के समय नियमितीकरण से वंचित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जिसकी सेवाअवधी 02 वर्ष पूर्ण हुआ है उसे स्थायीकर्मी बनाकर स्थायीकरण कपते हुये नियुक्ती आदेश जारी किया है ! पिंगुआ कमेंटी द्वारा महाधिवक्ता के पास फाईल भेजना मतलब जानबुझकर फाईल अटकाने वाली बात है! आदिमजाति विकास विभाग व अपने निवास के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिये मेहरबान है मुख्यमंत्री जी बाकी विभाग के लिये….?
वन विभाग में 6500 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्यरत है जिसमें 2500 वन रक्षक, सहायक ग्रेड 03,वाहन चालक, डाटा एंट्री आपरेटर, भृत्य, अर्दली के पद रिक्त है, वन विकास निगम में 723 पद रिक्त है!
देखना है अब नियमितीकरण करके बारे में कितना जल्दी निर्णय लेता है ,माननीय श्री कवासी लखमा जी अबकारी मंत्री से मुलाकात किया गया जिसमें लखमा जी ने कहा कि नियमितीकरण के संबंध में मैं मुख्यमंत्री जी से चर्चा करता हुं ताकी मंत्री मंडल दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण का निर्णय लिया जा सकें।