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MP breaking: किलविस के राज्य में अंधेरा कायम है, अंग्रेजों जैसे शासन में गुलाम जैसी स्थिति

यदि घर मे महीनों से अंधेरा रहे तो कैसे मनाएं आजादी का पर्व।
बिजली विभाग की हिटलरसाही से रीवा की जनता त्रस्त, जले ट्रांसफार्मर महीनों से नही बदल रहा विभाग।
अब सोरहवा मिसिरा के बाद क्योटा के ग्रामीणों ने लगाए मुर्दाबाद के नारे।
5000 रुपये रिश्वत लेकर भी नही बदला गया ट्रांसफार्मर।


 दिनांक 13 अगस्त 2022 रीवा मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश के रीवा संभाग में बिजली विभाग की तानाशाही हावी है ऐसे में आम ग्रामीणजन और किसान बिजली की समस्याओं से जूझ रहे हैं। कुल 24 घंटे में मात्र 6 से लेकर 8 घंटे तक बड़ी ही मुश्किल से बिजली दिया जाना और वह भी मात्र 1 फेस में बिजली उपलब्ध कराए जाने से किसानों में आक्रोश है। साथ ही रीवा संभाग में हजारों की संख्या में ट्रांसफार्मर जले हुए हैं जिसकी वजह से सूखे और अकाल जैसी स्थिति में किसानों को जहां सिंचाई के लिए दिक्कत हो रही है वही महीनों से घरों में अंधेरा पसरा हुआ है। इस बात को लेकर पूरे रीवा संभाग में जगह-जगह किसान और ग्रामीणजन मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों के विरुद्ध खुलकर सामने आ रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। जगह-जगह गांव-गांव बिजली विभाग के आला अधिकारियों और मध्य प्रदेश सरकार के विरुद्ध मुर्दाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं।

सोरहवा और मिसिरा के बाद अब क्योटा के लोगों ने सरकार और बिजली विभाग के मुर्दाबाद के लगाए नारे

अभी पिछले दिनों सोरहवा और मिसिरा ग्राम के ट्रांसफार्मर न बदले जाने के कारण ग्रामीणों में काफी आक्रोश दिखा था और बिजली विभाग एवं मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन के नाम से मुर्दाबाद के नारे लगाए थे और तत्काल ट्रांसफार्मर बदले जाने की मांग की थी। साथ में ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि बिजली विभाग के आला अधिकारियों की सह से गांव के किसानों और गरीब जनता से चंदा इकट्ठा कर रिश्वत के पैसे की माग की जा रही है जिस पर भी ग्रामीणों ने कार्यवाही की मांग की थी। दिनांक 13 जुलाई 2022 को इसी तारतम्य में लोटनी पंचायत के ग्राम क्योटा में भी भूतपूर्व सरपंच इंद्रभान पटेल एवं राधेश्याम शुक्ला की अगुवाई में दर्जनों ग्रामीणों ने जले हुए ट्रांसफार्मर के समक्ष उपस्थित होकर सरकार और बिजली विभाग की नीतियों के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे लगाए। ग्रामीणों ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर चंदे से रिश्वत लेकर ट्रांसफार्मर बदले जाने के भी आरोप लगाए हैं। ऐसे में अब यह देखना होगा जिस प्रकार मध्य प्रदेश सरकार और बिजली विभाग की नीतियों के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश फूट रहा है आगे आने वाले समय में ऊर्जा विभाग किस प्रकार मामले को हैंडल करता है और कितना जल्दी ग्रामीण क्षेत्रों के जले हुए ट्रांसफार्मर बदलता है।

ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश सरकार की ऊर्जा विभाग को लेकर कोई ठोस नीतिया न होने के कारण यह समस्याएं बढ़ी हुई है। एक तरफ तो मध्य प्रदेश सरकार अटल बिजली के नाम पर 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने के खोंखले दावे करती है वहीं संभाग में सूखे अकाल की स्थिति में किसानों को 6 घंटे भी बिजली उपलब्ध न करवाते हुए अपने ही मजाक का पात्र बनती है। अब बड़ा सवाल यह भी है कि यदि मध्य प्रदेश सरकार और ऊर्जा विभाग के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कोई ठोस नीति सामने नहीं आती है ऐसे में आने वाले समय में सरकार और ऊर्जा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन बढ़ते जाएंगे और निश्चित तौर पर इसका खामियाजा सरकार को आने वाले आगामी चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

रीवा जिले में बनाया जाए ट्रांसफॉर्मर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट

एक आम समस्या जो देखी जा रही है वह जले हुए ट्रांसफार्मर को जल्द से जल्द बदलने की है। अब यदि इस दिशा में बात की जाए तो रीवा जिले का जब भी कोई ट्रांसफार्मर जलता है तो उसके लिए अधिकारी गाड़ी भेजकर सतना से ट्रांसफार्मर मंगवाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि सतना में 100 केवी अथवा 63 केवी के ट्रांसफार्मर उपलब्ध ही नहीं रहते इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर बदलने के लिए हफ्तों लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश सरकार और ऊर्जा विभाग को दूरगामी सोच दिखाते हुए रीवा जिले में ही ट्रांसफॉर्मर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगानी पड़ेगी जिससे यदि जिले में ट्रांसफार्मर जलने तो उन्हें तत्काल सप्लाई किया जा सके।

संलग्न – कृपया इस संदेश के साथ संलग्न क्योटा ग्राम और कटरा विद्युत वितरण केंद्र अंतर्गत उपस्थित दर्जनों ग्रामीणों के प्रदर्शन की तस्वीरें देखने का कष्ट करें।

स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश

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