Breaking : दुर्ग के रास्ते धमधा बना अवैध शराब का डंपिंग जोन, 2 सालों में 100 करोड़ से ज्यादा की शराब बेची, अफसर संदेह के घेरे में?

Manish Bagh
रायपुर। धमधा पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद शराब तस्कर आरोपी चालक ने कई बड़े राज खोले हैं। दूर पुलिस के हाथ 35 लाख रुपए के स्टाक जप्त करने के बाद पता चला है कि सारा माल पम्मा सरदार के कहने पर लाया गया था। ब्रिज के नीचे से ही पूरा कारोबार चल रहा था। 2 साल पहले से मध्यप्रदेश ब्रांड की शराब लाने का खेल चल रहा था। 250 ट्रक शराब अब तक लाकर खा पाया गया था। एसपी दुर्ग अभिषेक पल्लव के बड़ा खुलासा करने के बाद आबकारी विभाग के अफसर अब संदेह के दायरे में हैं। खासकर दुर्ग और धमधा में सर्विलांस टीम उड़नदस्ता और सर्किल स्तर पर जमे हुए अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। भीड़भाड़ वाले रास्तों से शराब से भरी ट्रकों का ग्रामीण इलाकों में पहुंचना मिलीभगत होने की आशंका को बढ़ावा दे रहा है। पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है उनके नाम दशरथ सिंह मीणा और विनोद पटेल है जो कोहका के रहने वाले है। पूछताछ में दोनों ने यह स्वीकार किया है कि अम्मा सरदार उन्हें एक ट्रिप के पीछे 1 लाख रुपए तक देता था। उन्होंने सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र से भी शराब लाकर पम्मा के बताए हुए ठिकाने पर डंप किया था। दुर्ग जिले में जिस तरह से धमधा को शराब ठिकाने लगाने के लिए डंपिंग जोन बनाया गया था, उसने आबकारी अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शराब के अवैध कारोबार का काला खेल लंबे अरसे से चलता आ रहा है और इसे पूरी तरह से संरक्षण भी मिलता आ रहा है। पुलिस की जांच में आगे और भी खुलासे संभव है।
वरिष्ठ अधिकारी मौन
धमधा में शराब का बड़ा जखीरा मिलने के बाद आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मीडिया कर्मियों ने इस मामले को लेकर वरिष्ठ अफसरों से संपर्क साधने की कोशिश की। फोन लगाने पर भी एमडी कार्यालय सीएसएमसीएल से कोई जवाब नहीं मिला। गौरतलब है कि इसके पूर्व होने वाली विभागीय समीक्षा बैठकों में वरिष्ठ अफसरों ने साफ कर दिया था कि जिन क्षेत्रों में अवैध कारोबार का खुलासा होगा वहां प्रभारी अधिकारियों की जांच कर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। दुर्ग जिले में एक बड़े खुलासे के बाद भी वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
सस्ती कीमत का फायदा उठाकर कारोबार
शराब की अवैध कारोबार के मामले में जो तस्वीरें सामने आई है उससे पता चलता है कि राज्य के बाहर ठेका प्रथा में बिकने वाली शराब की कीमत छत्तीसगढ़ से कम है। वहां बनने वाली शराब की कीमत कम होने पर एजेंटों का नेटवर्क बनाकर उन्हें मोटा कमीशन भी दिया जा रहा है ताकि शराब की तस्करी छत्तीसगढ़ राज्य के तमाम जिलों में हो सके। दुर्ग से शराब की तस्करी करने वाले रसूखदार तस्करों को पकड़ पाने में आबकारी विभाग के अफसर नाकाम रहे हैं।
मुख्य आरोपी की तस्दीक करेंगे
दुर्ग ग्रामीण एडिशनल एसपी अनंत साहू ने खास बातचीत में बताया कि आरोपियों ने कथित अमर सरदार का नाम बताया है जिसकी तस्दीक करने निर्देश दिए हैं। एडिशनल एसपी ने कहा प्रारंभिक बयान में जिस व्यक्ति का नाम पम्मा सरदार बताया गया है, उसके बारे में जानकारी ली जा रही है।