Rewa: 3 इंजीनियर पर मेहरबान अधिकारी, दोष सिद्धि पर भी जिला पंचायत में फ़ाइल दबाकर बैठे // मामला रायपुर कर्चुलियान जनपद की मनिकवार नं 1 पंचायत का

कार्यपालन यंत्री आर एस धुर्वे और एसडीओ आरडी पांडेय ने 2019-20 में की थी जांच // जांच में इंजीनियर संतोष तिवारी, प्रतापवर्धन सिंह और जितेंद्र सिंह पाए गए थे खयानत के दोषी // जिला पंचायत के अधिकारियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल //
दिनांक 29 सितंबर 2022 रीवा मध्य प्रदेश।
भ्रष्टाचार का आलम यह है की 4 वर्ष जांच हुए समय व्यतीत हुआ लेकिन दोषी 3 इंजीनियरों पर वरिष्ठ अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। मामला काफी पुराना है जब जिला रीवा के रायपुर कर्चुलियान जनपद में मानिकवार नंबर 1 पंचायत की पीसीसी सड़क की जांच का जिम्मा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के दो अधिकारियों को दी गई। उस समय नए पदस्थ कार्यपालन यंत्री आर एस धुर्वे और तत्कालीन एसडीओ आरडी पांडेय के द्वारा मौके पर जाकर जांच की गई और जांच में पाया गया कि मानपुर से लेकर दिवाकर सिंह के घर तक बनाई गई पीसीसी सड़क गुणवत्ताविहीन और अमानक स्तर की है। जांच के उपरांत 5 लाख 70 हज़ार 660 रुपए की वसूली बनाई गई। ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और मूल्यांकनकर्ता रायपुर कर्चुलियान के तत्कालीन सहायक यंत्री संतोष तिवारी एवं दो उपयंत्री प्रतापवर्धन सिंह एवं जितेंद्र सिंह के द्वारा बराबर बराबर भरी जानी थी। मामला दबा दिया गया जिसे न तो ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री ने उठाना उचित समझा और न ही जिला पंचायत सीईओ ने इसकी जानकारी ली। लेकिन जैसे ही मामला सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी की नजर में आया उन्होंने मामले पर कार्यवाही करने की मांग की। फाइल घूमना प्रारंभ हुई और सीईओ जिला पंचायत रीवा से धारा 40 और 92 की कारण बताओ सूचना पत्र भी संबंधित तीनों इंजीनियरों को जारी हुए। सीईओ रीवा द्वारा कार्यपालन यंत्री आर एस धुर्वे के स्पष्ट अभिमत के साथ रिपोर्ट भी तलब की गई। कार्यपालन यंत्री आर एस धुर्वे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने पूर्व की गई जांच को यथावत रखा और इंजीनियर के न नुकुर करने के बाद भी 5 लाख 70 हज़ार 660 रुपये की रिकवरी भरे जाने के लिए और आगे की अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेड़े को 26 मई 2022 को पत्र लिखकर लेख किया।
मई 2022 से जिला पंचायत में फिर फाइल दबा कर बैठे अधिकारी
बड़ा सवाल यह था कि पहले 2019-20 की शिकायत पर कार्यवाही नहीं हुई और दोषी पाए जाने के विरुद्ध 3 इंजीनियरों को जिला पंचायत और ग्रामीण यांत्रिकी सेवा से संरक्षण प्राप्त हुआ। पर एक बार जब फिर मामला उठा तो इसके बाद भी मई से लेकर सितंबर 2022 पूरे 5 माह जिला पंचायत रीवा में अधिकारी फाइल दबा कर बैठे हुए हैं। सवाल यह है कि क्या ऐसी जांचे सिर्फ शासकीय धन के दुरुपयोग के लिए की जाती है? क्या जांचों के दौरान सरकारी मुलाजिमों का टीए और डीए नहीं बनता? क्या शासकीय समय और धन का दुरुपयोग करने के लिए यह वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार नहीं है? सवाल यह भी है यदि शिकायत की जांच हुई और अधिकारी दोषी पाए गए तो उनके ऊपर तत्काल कार्यवाही और आगे की दंडात्मक प्रक्रिया प्रारंभ क्यों नहीं होती है? क्या वरिष्ठ अधिकारी इन दोषी पाए गए इंजीनियर को हाईकोर्ट में स्टे लेने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रहे? जिला स्तर पर बैठे इन वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यप्रणाली और मंशा प्रश्न के दायरे में तब आ जाती है जब इस प्रकार के मामले अक्सर प्रकाश में आ जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने प्रश्न खड़े किए हैं और कहा है कि भले ही अधिकारी अपने बचाव में दुनिया भर की बातें करें लेकिन सच्चाई यही है कि जितना भ्रष्टाचार ग्राम पंचायतों में हो रहा है और स्वतंत्रता प्राप्ति से 75 वर्ष का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी ग्राम पंचायतों की दुर्दशा बराबर बनी हुई है इसके पीछे उच्च पदों पर बैठे हुए वरिष्ठ अधिकारी ही हैं। यदि टॉप लेवल पर बैठा हुआ अधिकारी अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन करें तो निश्चित तौर पर निचले स्तर पर कर्मचारी अधिकारी भ्रष्टाचार करने की हिमाकत नहीं करेंगे। लेकिन पूरा संरक्षण ऊपर से मिल रहा है जिसके कारण पूरे प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त है।
संलग्न – कृपया संलग्न विभिन्न स्तर पर जारी की गई कारण बताओ नोटिस, जांच रिपोर्ट एवं साथ में अभी हाल ही में मई 2022 में कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 1 आर एस धुर्वे के द्वारा सीईओ जिला पंचायत की तरफ अपने स्पष्ट अभिमत के साथ तीनों इंजीनियरों के ऊपर कार्यवाही बाबत जारी किया गया पत्र की प्रतिलिपि प्राप्त करें।
स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश