National Breaking: मुक्तिधाम चोरी मामले में नया मोड़, पुरातात्विक सर्वेक्षण तकनीक से जांच प्रारंभ,आखिर कहां गया मुक्तिधाम, अब ऑटो लेवल मशीन से चौथी बार हुई जांच

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा रीवा के कार्यपालन यंत्री आरएल कोकोटे ने तीसरी बार की जांच।
मुक्तिधाम के अवशेषों की पुरातात्विक विधि से हो रही तलाश।
अलग-अलग लोकेशन पर मशीन रख कर खोजे जा रहे सबूत।
ग्रामीणों का मानना कि राशि हजम करने के उद्देश्य से 15 किलोमीटर दूर जंगल और अगम्य पहाड़ी रास्तों के बीच में बनाया गया होगा मुक्तिधाम।
दिनांक 13 सितंबर 2022 रीवा। रीवा मध्य प्रदेश के सेदहा पंचायत के बहुचर्चित मुक्तिधाम चोरी मामले में एक नया मोड़ आ गया है। प्राप्त ताजा जानकारी अनुसार मुक्तिधाम चोरी मामले में अब चौथे राउंड की जांच हो चुकी है। दिनांक 12 सितंबर 2022 को ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा में अधीक्षण यंत्री कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री आर एल कोकोटे की टीम ने चौथी बार मुक्तिधाम चोरी मामले में अपनी जांच पूरी की। गौरतलब है कि इसके पहले कार्यपालन यंत्री कोकोटे और उनकी टीम के द्वारा दो बार एवं कमिश्नर रीवा संभाग के द्वारा अनुविभागीय एवं दंडाधिकारी सिरमोर नीलमणि अग्निहोत्री की टीम के द्वारा राजस्व स्तर की भी जांच की जा चुकी है। लेकिन यह मुक्तिधाम है कि मिलने का नाम नहीं ले रहा है जिससे आमजन में भी काफी कौतूहल व्याप्त है। सभी की जुबान पर बस एक ही चर्चा चल रही है कि आखिर मुक्तिधाम सेदहा पंचायत से गया तो गया कहां। बड़ी मजेदार बात यह है जो पत्थर से बना हुआ एक स्ट्रक्चर सुदूर 15 किलोमीटर दूर पथरीले और जंगली भूभाग में पाया गया है वह पत्थरों से बनी हुई वाड़ी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है क्योंकि वहां पर मुक्तिधाम जैसा कुछ प्रतीत नहीं होता।

बिना एनओसी अन्य पंचायती आराजी में बनाये गए मुक्तिधाम की सम्पूर्ण वसूली और एफआईआर क्यों नही?
अब सवाल यह है कि क्या जंगली भूभाग में आम जनता से दूर जहां पैदल भी चलने योग्य रास्ता न हो उस स्ट्रक्चर को क्या कोई भी जांच टीम मुक्तिधाम मानेगी? सवाल यह भी है की तकनीकी स्वीकृति के आधार पर जो कार्य सेदहा ग्राम पंचायत की आराजी नंबर 3 में किया जाना था यदि वह हिनौती ग्राम पंचायत के गदही ग्राम की अन्य आराजी में बिना किसी एनओसी के मात्र भ्रष्टाचार करने और राशि हजम करने के उद्देश्य से बना दिया जाए तो क्या उसे जांच टीम मान्य करेगी और क्या ऐसे कार्यों में संपूर्ण वसूली निर्धारित नहीं होगी? इस प्रकार की चर्चाएं और सवाल आज मुक्तिधाम चोरी मामले में हो रही जांच में रुचि रखने वाले सभी ग्रामीणजनों और लोगों में प्रमुख रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का यह भी मानना है कि सुदूर जंगली पथरीले भूभाग में 15 किलोमीटर दूर बनाए गए स्ट्रक्चर को यदि मुक्तिधाम मान भी लिया जाए तो 15 लाख रुपये टैक्स के पैसे की हुई बर्बादी से मुक्तिधाम की क्या उपयोगिता? सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी की ममानें तो मुक्तिधाम भ्रष्टाचार के मामले में वसूली के साथ-साथ दोषियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत एफ आई आर दर्ज की जानी चाहिए।
पुरातात्विक सर्वेक्षण पद्धति की तरह कार्यपालन यंत्री की टीम ने एक बार पुनः की जांच
गौरतलब है कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा के कार्यपालन यंत्री आरएल कोकोटे की टीम के द्वारा इसके पहले दो बार जांच की जा चुकी है जिसमें मुक्तिधाम तलाशने का भरपूर प्रयास किया जा चुका है। लेकिन मुक्तिधाम ढूंढा नहीं जा सका था। इसके साथ ही एसडीएम सिरमोर की भी राजस्व स्तर की जांच पूर्ण हो चुकी है जिसमें यह साबित हो चुका है कि मुक्तिधाम सेदहा ग्राम पंचायत में नहीं बना हुआ है। पर सवाल यह भी था कि जो भी स्ट्रक्चर ग्रामीण क्षेत्र से लगभग 15 किलोमीटर दूर सुदूर जंगली और पथरीले भूभाग में पाया गया आखिर वह था क्या? क्या वह मुक्तिधाम था अथवा प्राचीन बौद्ध काल के समय पत्थरों को इकट्ठा कर बनाया गया कोई पुरातात्विक नमूना था जिसे अब पुरातात्विक धरोहर घोषित की जाए। इसी बात पर जांच टीम ने ऑटो लेवल मशीन और अन्य तकनीकों का प्रयोग करते हुए कई दर्जन स्पॉट चिन्हित किए जहां जमीन की सतह का ऊपरी लेबल प्राप्त करने का प्रयास किया गया। लेबल प्राप्त करने में कई बार ऑटो लेवल मशीन को पत्थर से बने हुए स्ट्रक्चर के अंदर अलग-अलग लोकेशन पर रखकर जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किए गए और कई बार पथरीले स्ट्रक्चर के बाहर से भी अलग-अलग लोकेशन को ट्रेस करने का प्रयास किया गया और लेबल प्राप्त करने का प्रयास किया गया।
इस प्रकार दिनांक 12 सितंबर 2022 की मुक्तिधाम चोरी मामले को खोजने के भरपूर प्रयास किए गए लेकिन मुक्तिधाम था कि मिलने का नाम नहीं ले रहा था। आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी काफी कौतूहल है कि आखिर यह क्या बला है कि 4 बार जांच होने के बाद भी यह मुक्तिधाम खोजे नहीं मिल रहा है।
हालांकि अब उम्मीद की जा सकती है चौथी जांच के बाद शायद कुछ निष्कर्ष निकले।