अवैध शराब पर कमीशनखोरी की खबर से बौखलाये बिलाईगढ़ थाना प्रभारी…

सारंगढ़ बिलाईगढ़: पत्रकारिता लोकतंत्र का वह एकमात्र चौथा स्तंभ है, जो सत्ता से सवाल करता है, समाज को दिशा देता है, पुलिस के जनविरोधी क्रियाकलापों को अपनी लेखनी से शासन तक पहुंचाता है, जनता को जागरूक कर समाज मे हो रहे अवैध क्रियाविधियों से अवगत कराता है।
लेकिन बिना लाभ की इच्छा रखे ऐसे पत्रकारों को कुछ जनप्रतिनिधि एवं वर्दीधारी फूटे आँख भी पसंद नहीं करते।
कारण सरकार ने जिन पुलिसकर्मियों को समाज सेवा करने की ड्यूटी दी है उनमे से “कुछ वर्दीधारी” जिनके द्वारा महज चंद रुपयों की खातिर पुलीसिया कर्तव्य को दांव लगाने से बाज़ नहीं आते!
आम जनता की क्या बिसात वो जुबान भी खोले! क्योंकि फिल्मो का प्रसिद्ध डायलॉग की पुलिस की दोस्ती और दुश्मनी अच्छी नहीं होती आज भी लोगों के जेहन मे बैठा है! सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले मे तो पत्रकार भी वर्दीधारियों की दबँगई के आगे खौफ खाये रहते हैँ। जो खबर लिखकर प्रशासन की नींद को तोडना चाहते हैँ उनपर झूठा मुकदमा और नोटिस की धमकी के साथ टारगेट रखकर कार्रवाई का भय दिखाया जाता है।
ताज़ातरीन मामला बिलाईगढ़ की है जहाँ जनता की माने तो अवैध शराब और जुए ने अपनी ऐसी पैठ जमाई है की जनता त्रस्त नजर आ रहे हैँ, और ये शराब माफिया बकायदा वर्दी के संरक्षण मे अपना अवैध धंधा जारी रखकर जिले के जनता को दीमक के भांति खाने मे लगे हैँ।
ज़ब अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के जिला अध्यक्ष ने उपरोक्त मामले मे कलम चलाकर पुलिस की अवैध शराब और जुए मे वर्दीधारियों की संलिप्तता की जानकारी दी तो थाना प्रभारी शिवधारी को ये नागवार गुजरा और उनके द्वारा फर्जी तरीके से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कानूनी कार्रवाई और नोटिस की धमकी देने लगे।
अर्थात जो निष्ठा और निष्पक्षता के साथ जनहित की आवाज़ बन रहे हैं टीआई साहब उन्ही की कलम तोड़कर वर्दी की ताकत दिखाना चाह रहे हैँ! जबकि उन्हें इस बात की जानकारी भलीभांति है कि लोकतंत्र की असली ताकत पत्रकारिता ही है।
वैसे भी पत्रकारों के आवाज़ को दबाने की साजिश होते रहती है “क़भी ले देकर क़भी धमकी पूर्वक! ”
परन्तु इस बार मामला किसी बाहरी दबाव का नहीं, बल्कि सीधे बिलाईगढ़ थाना प्रभारी शिवधारी की करतूत का है।
थाना प्रभारी ने जारी किया मनगढ़ंत प्रेस विज्ञप्ति –
बिलाईगढ़ थाना प्रभारी ने जनता और प्रशासन तक अवैध वसूली की खबर छपने और खुद को फंसता देख अपने बचाव में मनगढ़ंत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों की साख पर हमला कर दिया!
दरअसल, जिले में पुलिस और प्रेस के बीच जानकारी साझा करने के लिए डीएसपी अविनाश मिश्रा की निगरानी में एक आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। लेकिन नियम को ताक पर रखकर थाना प्रभारी शिवधारी ने अपनी गलती छिपाने और सच्चाई को दबाने के लिए खुद ही फर्जी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।यह पूरा मामला तब भड़का जब वरिष्ठ पत्रकार नरेश चौहान ने एक सरपंच की लिखित शिकायत के आधार पर अवैध शराब बिक्री और उसमें हो रही कमीशनखोरी का खुलासा किया। खबर लगते ही थाना प्रभारी के होश उड़ गए और उसने पत्रकारों को ही कटघरे में खड़ा करने की घटिया कोशिश शुरू कर दी।
“अब कलम नहीं झुकेगी” – पत्रकार संघ
थाना प्रभारी द्वारा खबर उजागर करने वाले पत्रकार को नोटिस और कार्रवाई की धमकी ने पूरे जिले के मीडिया जगत में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। पत्रकारों का कहना है कि शिवधारी जैसे अफसर वर्दी के दम पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलना चाहते हैं, पर अब यह खेल नहीं चलेगा। जिले के पत्रकार अब उच्च अधिकारियों से मिलकर इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच और थाना प्रभारी के निलंबन की मांग करेंगे। यदि कार्रवाई नहीं हुई तो पूरा प्रदेश पत्रकार समुदाय सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगा और ऐसे अफसरों की असलियत पूरे राज्य के सामने लाएगा।पत्रकारों की एकजुट आवाज—सच लिखना अपराध नहीं, साहस है! अब आवाज दबाने वालों की ही जांच होगी!