MP Breaking: चोरी हुए सेदहा मुक्तिधाम की फिर हुई तकनीकी जांच, जंगल की अवैध खखरी पत्थर से बने शान्तिधाम की हुई जांच

भ्रष्टाचार का केंद्रबिंदु रही बहुचर्चित सेदहा पंचायत का है मामला।
कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आर एल कोकोटे ने की जांच।
गंगेव सहायक यंत्री श्रीकांत द्विवेदी और उपयंत्री कुजूर भी रहे सम्मिलित।
दिनांक 31 अगस्त 2022 रीवा मध्य प्रदेश
रीवा मध्य प्रदेश के चोरी हुए अजीबोगरीब सेदहा ग्राम पंचायत के मुक्तिधाम की तकनीकी जांच एक बार पुनः ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम के द्वारा किया गया। मामला था गंगेव जनपद की सेदहा ग्राम पंचायत में 14.95 लाख रुपए में बनाए गए सेदहा शांतिधाम का। गौरतलब है कि यह वही मामला है जिसमें सेदहा ग्राम पंचायत के आराजी नंबर 3 में बनाए गए शांतिधाम को हिनौती पंचायत के गदही ग्राम की आराजी नंबर 47 और 74 में होना पाया गया था इसके बाद मामला मीडिया में छाया रहा था।
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री आर एल कोकोटे की टीम ने की तकनीकी जांच
बता दें मामले की तकनीकी जांच एक बार पुनः ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा के कार्यपालन यंत्री आर एल कोकोटे, गंगेव जनपद के सहायक यंत्री श्रीकांत द्विवेदी एवं उपयंत्री डोमिनिक कुजूर के द्वारा की गई। जांच के दौरान तीन बिंदुओं की जांच को जमीन का कॉम्पेक्शन और सरफेस से लेवल देखने के लिए कुदाल से खुदाई की गई। बघविल शांतिधाम और जिरौही में बने 2 अन्य शांति धाम की लगभग एक दर्जन जगह पर तकनीकी विशेषज्ञों की उपस्थिति में दो से ढाई फीट तक गहरी खुदाई की गई जिसमें मिट्टी का स्तर और कॉम्पक्शन देखा गया। देखने पर पाया गया कि जिस बघविल शांतिधाम की सरफेस बनाने के लिए ही मात्र लगभग 9 लाख रुपये मिट्टीकरण होना बताया गया है वहां कोई मिट्टीकरण हुआ ही नहीं है और मात्र लेवलर अथवा ट्रैक्टर दौड़ा कर सरफेस को समतल कर दिया गया है।

मुक्तिधाम की सतह को खोदकर हर स्तर पर की गई जांच
गौरतलब है कि यह जांच इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तकनीकी तौर पर कार्यपालन यंत्री एसडीओ और उपयंत्री की उपस्थिति में मजदूर लगाकर कुदाल से कई जगह शांतिधामों और खेल मैदान की खोद खोद कर जांच की गई। जांच के दौरान व्यापक अनियमितता प्रकाश में आई है जिसमें कई लाख रुपए की रिकवरी बनने का अनुमान है।
सेदहा के स्थान पर हिनौती ग्राम पंचायत में बना दिया शांतिधाम
जहां तक मामला सेदहा ग्राम पंचायत के आराजी नंबर 3 पर बनाए गए बघविल शांतिधाम का है वह शांतिधाम सेदहा ग्राम पंचायत की आराजी नंबर 3 पर न बना होकर हिनौती ग्राम पंचायत के गदही ग्राम की आराजी नंबर 47 और 74 में बना हुआ पाया गया था। गौरतलब है कि यह जांच भी कमिश्नर रीवा संभाग के द्वारा एसडीएम सिरमोर से कराई गई थी जिसमें प्रतिवेदन संभागीय आयुक्त को भेजा जा चुका है। जाहिर है जिस स्थान के लिए तकनीकी स्वीकृति होती है कार्य उसी स्थान पर किया जाता है और जिस प्रकार सेदहा ग्राम पंचायत का शांतिधाम हिनौती ग्राम पंचायत में बिना किसी शासकीय अनुमति के बना दिया गया यह पूरी तरह से रिकवरी की श्रेणी में आता है।

बिना लेवल के ही जारी कर दी तकनीकी स्वीकृति मूल्यांकन, इंजीनियर पर बनती है कार्यवाही
गौरतलब है कि सेदहा ग्राम पंचायत के उक्त तीन बिंदुओं की जांच जिसमें शांतिधाम और खेल का मैदान सम्मिलित हैं इनमें तकनीकी स्वीकृति दिए जाने के दौरान आसपास की जमीन से किए जाने वाले कार्य का लेवल नहीं दर्शाया गया था जिसमें मन मुताबिक मूल्यांकन कर कार्य की पूरी राशि हजम कर ली गई थी। अब सवाल यह है कि जो मनरेगा और पंचायती कार्य की तकनीकी स्वीकृति दी जाती है उसमें कार्य का जमीनी लेवल अवश्य देखा जाता है। विशेषतौर पर यदि मनरेगा का कार्य किया जाना है तो उस मिट्टी का लेवल आसपास की मिट्टी के लेवल से आवश्यक तौर पर देखा जाता है और इसी आधार पर उस कार्य की लागत का प्रारंभिक आकलन किया जाकर टीएस जारी होते हैं। अब यदि शांतिधाम के ही कार्य को ले लिया जाए तो शांतिधाम के पश्चिम उत्तर और दक्षिण सिरे में जमीन का लेवल लगभग इतना ही था जितना शांतिधाम के अंदर। जबकि पूर्वी सिरे में लगभग शांतिधाम के बराबर लेबल था पर चट्टानी एरिया आने के कारण थोड़ा सा मामूली अंतर दिखा। जबकि इस शांतिधाम का 14 लाख 95 हजार रुपए का जो तकनीकी स्वीकृति संबंधित इंजीनियर के द्वारा पूर्व में जारी की गई है उसमें और मूल्यांकन में भी किसी भी प्रकार के लेवल का जिक्र नहीं है।

मनरेगा के कार्यों में सरफेस लेवल को ही लेकर होता है सबसे अधिक भ्रष्टाचार
अक्सर तकनीकी स्वीकृति और मूल्यांकन में सरफेस लेवल का जिक्र न करने से मनरेगा के कार्यों में मनमुताबिक राशि हजम कर ली जाती है और लोगों को पता तक नहीं चलता। विशेष तौर पर मनरेगा के मिट्टी मोरम और पंचायती कार्यों में अक्सर भ्रष्टाचार करने का यह काफी महत्वपूर्ण बिंदु होता है जिस पर शिकायतकर्ता भी ध्यान नहीं देते। जबकि यदि मनरेगा से संबंधित शिकायतें की जानी है तो कार्य के पूर्व का सरफेस लेवल और कार्य के बाद के लेवल का अंतर स्पष्ट तौर पर बताया जाना चाहिए।
इन इन ग्रामवासियों की उपस्थिति में हुई जांच
सेदहा ग्राम पंचायत की जिन तीन बिंदुओं की जांच जिसमें बघविल शांतिधाम, जिरौही प्लाट शांतिधाम और जिरोही प्लाट खेल का मैदान सम्मिलित हैं गणमान्य नागरिकों भूतपूर्व सरपंच राजमणि सिंह, मनोज सिंह, अरुण सिंह, गेंदराज सिंह, संजय सिंह, बृजेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी, केशव अहिर, शिवेंद्र सिंह एवं मेवालाल चौबे, नंदलाल कोल आदि की उपस्थिति में हुई।