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नेपाल में नागरिकता कानून में हुआ संशोधन,विवाह के बाद मिलेगी देश किया नागरिकता

नेपाल की संसद ने नागरिकता अधिनियम-2006 में संशोधन करने का एक बिल पारित कर दिया है, जिससे विवाह के बाद देश की नागरिकता लेने वाले व्यक्तियों की संतान को नेपाली नागरिकता मिल सकेगी। विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के कड़े विरोध के बावजूद शेर बहादुर देउबा सरकार इस बिल को बहुमत से पारित कराने में सफल रही।

देउबा सरकार ने नागरिकता नियमों में बदलाव मधेसी पार्टियों के दबाव में किया है। ये पार्टियां नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा हैं। ताजा नियम लागू होने से सबसे ज्यादा लाभ मधेसी समुदाय को ही होगा। इस समुदाय के लोगों के अकसर भारतीय राज्य बिहार के लोगों के वैवाहिक संबंध बनते रहते हैं। नए विधेयक में प्रावधान है कि नागरिकता के लिए आवेदन करते समय संतानें अपने माता या पिता में से किसी का भी उपनाम चुन सकती हैं।

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि नागरिकता प्रमाणपत्र में पिता और माता दोनों के विवरण दर्ज होंगे। अभी नागरिकता प्रमाणपत्र पर पिता, दादा या पति के विवरण ही दर्ज होते हैं। इसके अलावा नए विधेयक में उन अनाथ बच्चों को भी नागरिकता देने का प्रावधान है, जिनके माता-पिता की पहचान नहीं की जा सकी है।

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