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सेदहा पंचायत का 14.95 लाख का शान्तिधाम चोरी,नजदीकी पंचायत हिनौती में मिला चुराया गया शान्तिधाम,कमिश्नर रीवा द्वारा कराए जांच में सच्चाई आयी सामने

भारत मे शान्तिधाम चोरी का पहला मामला

जमीन सहित स्ट्रक्चर चोरी का इकलौता मामला, पंचायत में मचा हड़कंप।

6 वर्ष पहले सेदहा की आराजी नम्बर 3 में बनाया गया था शान्तिधाम।

दिनांक 29 जुलाई 2022 रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में भारत का एक अजूबा मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुपारी को आवेदक राजमणि सिंह शिवानंद द्विवेदी और पुष्पराज सिंह द्वारा सेदहा पंचायत के बघविल में आराजी नंबर 3 में बनाए गए शांतिधाम के विषय में की गई शिकायत की जांच में जो सच्चाई सामने आई है उससे क्षेत्र में कौतूहल का माहौल है।

मामला शांतिधाम और भूमि के चोरी का है। अब बताया गया की रीवा जिले के गंगेव जनपद अंतर्गत सिरमौर तहसील की सेदहा पंचायत के बघबिल नामक स्थान पर शासकीय राजस्व की आराजी नंबर 3 पर 14 लाख 95 हजार रुपए का शांतिधाम वर्ष 2014-16 के बीच में बनाया गया था लेकिन उक्त शिकायतकर्ताओं के द्वारा शिकायत की गई थी की शांतिधाम सेदहा पंचायत की उक्त आराजी 3 में नहीं बना है। जिसकी जांच कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुपारी के द्वारा अनुविभागीय एवं दंडाधिकारी सिरमोर नीलमणि अग्निहोत्री के माध्यम से कराई गई जिसमें एसडीएम सिरमौर नीलमणि अग्निहोत्री के द्वारा पटवारियों की टीम भेजकर जब दिनांक 28 जुलाई 2022 को मौके पर जरीब के माध्यम से नापजोख हुआ तो पता चला की 14 लाख 95 हजार की लागत से बना हुआ शांतिधाम सेदहा पंचायत में है ही नहीं और जांच के दौरान वह नजदीकी हिनौती पंचायत के गदही नामक ग्राम की आराजी नंबर 24 एवं 27 में बना पाया गया। तब से आसपास के ग्रामों में इस बात की चर्चा खास है कि आखिर सेदहा पंचायत में बनाया गया शांतिधाम हिनौती पंचायत में कैसे पहुंच गया कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि शांतिधाम चोरी हो गया हो और चुरा कर उसे हिनौती पंचायत पहुंचा दिया गया हो।

रिहायशी इलाके से 15 किलोमीटर दूर बनाये गये शांतिधाम की उपयोगिता शून्य

जांच के दौरान पाया गया कि सेदहा पंचायत की आराजी नंबर 3 के नाम पर 14 लाख 95 हजार रुपए का जो शांतिधाम बनाया गया और होना बताया गया वह वास्तव में जिला पंचायत में न होकर हिनौती पंचायत के गदही ग्राम की आराजी 24 और 27 में है लेकिन सवाल यह भी था कि क्या रिहायशी इलाके से 15 किलोमीटर दूर जंगल पहाड़ नदी नालों को पार करते हुए इस शांतिधाम की कोई उपयोगिता है? ग्राम पंचायत सेदहा और आसपास के अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जब से यह शांतिधाम बना किसी को पता ही नहीं है कि वहां पर शांतिधाम था। सभी लोग इसे किसी की निजी भूमि पर बना हुआ पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े लगाकर एक बाउंड्री समझ रहे थे पर जब यह ज्ञात हुआ की पंचायत विभाग के रिकॉर्ड में यह लगभग 15 लाख रुपए का शांतिधाम है तो लोगों ने सवाल करना प्रारंभ किया कि आखिर कौन व्यक्ति है जो रिहायशी इलाके से 15 किलोमीटर दूर चट्टानों पर्वत पहाड़ और नदी नालों को पार करते हुए किसी भी मुर्दा को दफनाने अथवा उसकी अंत्येष्टि करने के लिए यहां पर आएगा? सवाल लाजिमी और स्पष्ट था की शांतिधाम बनाने का उद्देश्य मात्र सरकारी पैसे को हजम करना था न कि आमजन को सुविधा उपलब्ध करवाना क्योंकि यदि आमजन को सुविधा उपलब्ध करवाने का कोई भी विचार हो तो शांतिधाम रिहायशी इलाके के नजदीक बनाया जाता है जहां लोगों का आवागमन बाधित न हो और वैसे भी जब किसी मुर्दे को दफनाने के लिए ले जाते हैं तो उसमें 6 से लेकर 8 व्यक्ति लकड़ी के ढांचे को पकड़े रहते हैं जिससे लाश गिरे नहीं और आसानी से मुक्तिधाम तक पहुंचाया जा सके। लेकिन सवाल यह था कि जिन पत्थर चट्टान पहाड़ और नदी नालों से होकर शांतिधाम का रास्ता गुजरता था वहां तो व्यक्ति अकेले पैदल भी नहीं चल सकता था तो भला मुर्दा को लेकर दफनाने के लिए कैसे पहुंचता?

पंचायत वासियों ने समस्त राशि की वसूली तत्कालीन सीईओ जनपद सहायक यंत्री उपयंत्री सहित सरपंच सचिव से करने और दोषियों के विरुद्ध एफआईआर की माग की

कमिश्नर रीवा संभाग अनिल शिकारी द्वारा दिनांक 28 जुलाई 2022 को कराई गई जांच के दौरान सेदहा पंचायत और आसपास के अन्य ग्राम पंचायत के कई लोग मौजूद रहे जिसमें उन्होंने मौके पर देखा कि सेदहा पंचायत की आराजी नंबर 3 में जो शांतिधाम बना हुआ बताया गया वह वास्तव में हिनौती पंचायत में बनाया गया था। अतः स्वाभाविक था कि शांतिधाम कहीं चोरी तो नहीं हो गया? इस प्रकार अटकलें भी ग्रामीण लगा रहे थे लेकिन जांच के दौरान जब मामला साफ हो गया तो ग्रामीणों ने यह मांग की कि इस पूरे मामले में जिस इंजीनियर ने लेआउट किया, जिस इंजीनियर ने इसका तकनीकी स्वीकृत बनाया और जिस सहायक यंत्री उपयंत्री एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इसमें पूर्णता और उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया उन सब के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता के तहतएफआईआर की कार्यवाही की जाए एवं साथ में समस्त राशि की वसूली इनके निजी पैसे की जाए।

हालांकि मामले की जांच रिपोर्ट ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री और अनु विभागीय अधिकारी सहित राजस्व विभाग के पटवारी आर आई और अनुविभागीय दंडाधिकारी अब कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुचारी को सौंपेंगे जिसके बाद ही आगे की क्या कार्यवाही होती है स्पष्ट हो पाएगा।

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