श्रीलंका की मुश्किलें और बढ़ी,जनवरी में भी IMF से कर्ज मिलने की उम्मीद नहीं

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मंजूर कर्ज की रकम जनवरी में भी श्रीलंका को नहीं मिल पाएगी। आईएमएफ ने श्रीलंका के लिए 2.9 बिलियन डॉलर का कर्ज मंजूर किया है। लेकिन इसके साथ उसने जो शर्तें लगाई हैं, श्रीलंका अभी उन्हें पूरा नहीं कर पाया है। इसलिए कर्ज मिलने में लगातार देर हो रही है।
श्रीलंका के वित्त राज्यमंत्री शेहान सेमासिंघे ने बताया कि कर्जदाता देशों के साथ डेट रिस्ट्रक्चरिंग (कर्ज चुकाने की समयसीमा में बदलाव) को लेकर चल रही बातचीत में देर हो रही है। उन्होंने इन वार्ताओं को जटिल बताया और कहा कि इसमें देर के कारण आईएमएफ का कर्ज संभवतया जनवरी तक नहीं मिल पाएगा।
इसके पहले श्रीलंका सरकार के अधिकारियों ने उम्मीद जताई थी कि चालू वर्ष के अंत तक आईएमएफ से कर्ज मिल जाएगा। बाद में उन्होंने जनवरी में इसके मिलने की संभावना जताई थी। लेकिन अब साफ संकेत हैं कि अगले महीने भी ये उम्मीद पूरी नहीं होगी। जबकि श्रीलंका की क्रेडिट रेटिंग में सुधार के लिए आईएमएफ का कर्ज मिलना बेहद जरूरी है। समझा जाता है कि आईएमएफ का ऋण मिलने के बाद श्रीलंका के लिए अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार से अतिरिक्त कर्ज लेने का रास्ता साफ जाएगा।
सेमासिंघे ने वेबसाइट इकॉनमीनेक्स्ट.कॉम को दिए एक इंटरव्यू में कहा- ‘हम इस बात की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि आईएमएफ का कर्ज अगले साल की पहली तिमाही में हमें मिल जाए। ऋण पाने के लिए सरकार को जो कदम उठाने थे, उन्हें वो पहले ही उठा चुकी है। देर द्विपक्षीय कर्जदाता देशों से बातचीत में हो रही है। यह एक जटिल प्रक्रिया है।’
डेट रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर चल रही वार्ताओं के बारे में सेमासिंघे ने बताया कि द्विपक्षीय कर्जदाताओं से तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। उन देशों ने श्रीलंका से कुछ औऱ स्पष्टीकरण मांगे हैं। सेमासिंघे ने कहा- ‘इन देशों से हमें मदद जरूर मिलेगी, लेकिन इसमें कितना समय लगेगा, यह बताना मुश्किल है।’ श्रीलंका ने इस वर्ष अप्रैल में खुद को डिफॉल्टर (कर्ज चुकाने में अक्षम) घोषित कर दिया था। तब से श्रीलंका ने द्विपक्षीय कर्जदाताओं को उनके ऋण और ब्याज की किस्तों को चुकाना रोक रखा है। ऐसा उसने विदेशी मुद्रा के अभाव की वजह से किया है। इस बीच किसी देश ने श्रीलंका की उतनी मदद नहीं की है, जिससे वह ऋण का कोई हिस्सा चुका पाए।
आईएमएफ ने इस शर्त पर कर्ज मंजूर की है कि श्रीलंका द्विपक्षीय कर्जदाता देशों से रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा प्राप्त करेगा। साथ ही आईएमएफ ने कुछ ‘आर्थिक सुधार’ भी लागू करने को कहा था। इसमें सबसे बड़ी शर्त यह थी कि श्रीलंका सरकार अपना खर्च घटाए।