हिंदी दिवस विशेष : हिदी तो राष्ट्र की चिंतन धारा का मूल है-उर्मिला देवी उर्मि

हिन्दी : राष्ट्र की चिंतन धारा का मूल है।
हिन्दी को केवल मातृभाषा मान लेना भूल है ।
हिन्दी को भाषा- मात्र समझ लेना भी भूल है ।।
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हिदी तो राष्ट्र की चिंतन धारा का मूल है ।
हिंदी को हिंदी नहीं समझें, खटकता ये शूल है ।।
हिंदी की महत्ता जन -जन को कबूल है ।
हिंदी विरोधी झगड़ा फिर सारा फिजूल है ।।
प्यारी ये सभी को, संस्कृत इसका मूल है ।
भाषा -बगिया का यह मनमोहक फूल है ।।
विचारों के विनिमय का सेतु है, कूल है ।
विवादों को निहित स्वार्थी ही दे देता तूल है।।
घर- घर देखो बना हुआ है, ठौर -ठिकाना हिंदी का ।
सदियों से सड़क- हाट में राज दिखे है हिंदी का ।।
भक्ति – प्रीति में, गीत -गान में, रूप सजे है हिंदी का ।
रीति -नीति में, मोल- तोल में भाव दिखे है हिंदी का ।
दोहा, सवैया, चौपाई में, रूप खिले है हिंदी का ।
काव्य, कहानी,उपन्यासों में,मान बढे है हिंदी का ।।
मान कमाया तुलसी मीरा ने, मान बढ़ा कर हिंदी का
मान सभी को मिल जाएगा, मान बढ़ाओ हिंदी का ।
उर्मिला देवी उर्मि
साहित्यकार , हिंदी -सेवी, सामाजिक- चिंतक , शिक्षाविद
रायपुर, छत्तीसगढ