किसान विरोध के खिलाफ केन्द्र सरकार तानाशाही रवैय्या छोड़ें
केन्द्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों को देश का दुश्मन न समझें। सभी राजनीतिक दलों से ज्यादती की निंदा करने की अपील। 16 फरवरी 2024 की देशव्यापी विरोध कार्रवाई से पहले कोई चर्चा क्यों नहीं?।
रायपुर। भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ के प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही ने केन्द्र सरकार की उस तानाशाही तरीके के खिलाफ अपना कड़ा असंतोष और गुस्सा व्यक्त किया है जिसमें मोदी सरकार पंजाब और दिल्ली की सीमाओं व राजमार्गों पर लोहे की कीलें, कंटीले तार और कंक्रीट बैरिकेड्स लगाकर किसानों के लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन को रोक रही है। प्रशासन ने दिल्ली और हरियाणा के आसपास धारा 144 लागू कर रहा है और जनता को बिना किसी पूर्व सलाह के यातायात को डायवर्ट कर रहा है तथा लोगों को डराने के लिए आतंक का माहौल बना रहा है। मोदी सरकार प्रदर्शनकारियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि वे देश के दुश्मन हों।
मध्य प्रदेश में, किसान सभा नेता राम नारायण कुरारिया, उनकी सहित संयुक्त किसान मोर्चा के पांच राज्य नेता अंजना कुरारिया, किसान संघर्ष समिति नेता एडवोकेट. आराधना भार्गव, बीकेयू (टिकैत) नेता अनिल यादव, एनएपीएम नेता राजकुमार सिन्हा को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि उनकी सरकार लोगों की आजीविका की मांगों पर 16 फरवरी 2024 को देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल के आह्वान के संदर्भ में किसानों और श्रमिकों के मंच से चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं है?
लोगों की आजीविका की माँगों पर भारत भर में उभरते संघर्षों के संदर्भ में लोगों के विरोध को दबाने के प्रयास व्यर्थ है। एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को याद दिलाया कि भारत में एक संविधान है जो सभी नागरिकों के लिए विरोध करने का अधिकार सुनिश्चित करता है। एसकेएम सभी राजनीतिक दलों और सभी वर्गों के वर्ग एवं जन संगठनों से मोदी प्रशासन की इस मनमानी की निंदा करने की अपील करता है।
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकारों के दमन का जनता द्वारा प्रतिकार किया जाएगा। सभी वर्गों के समर्थन से किसान और श्रमिक यह सुनिश्चित करेंगे कि 16 फरवरी 2024 की औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद व्यापक, जीवंत और सफल हो।