सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हैट स्पीच से बचे
किसी भी मेसेज को पोस्ट/फॉरवर्ड करने से पहले उसके सोर्स का पता लगावे। अजमांतीय धाराओं के तहत हो सकती है गिरफ्तारी।

दोस्तो आपने हैट स्पीच शब्द सुना ही होगा शब्द बहुत ज्यादा प्रचलन में है ,इसके लिए लोग आजकल सोशल मीडिया को प्लेटफॉर्म के रूप में यूज कर रहे है ।
किसी व्यक्ति या व्यक्ति के समूह /समुदाय द्वारा दिया गया ऐसा बयान किया गया ऐसा कमेंट जो किसी अन्य व्यक्ति या समुदाय के जाति ,धर्म या लिंग ,या शारीरिक बनावट को लेकर किया गया हो जिससे सामाजिक शांति को खतरा हो ,कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो जाए हैट स्पीच कहलाता है।।
ऐसे अपराधो को रोकने के लिए कड़े कानूनी कानूनी प्रावधान है ।
भारतीय दंड विधान सेक्शन 153(A) के तहत प अगर धर्म, नस्ल, जन्मस्थान,भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभावपूर्ण रवैये अपनाकर बोला या लिखा गया कोई भी शब्द अगर किसी भी समूह विशेष के खिलाफ नफरत, रंजिश की भावनाएं भड़काता है या सौहार्द्र का माहौल बिगाड़ता है, तो ऐसे मामले में दोषी को तीन साल तक की कैद की सज़ा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
धारा , अजमांतीय,प्रकृति की होती है।
उसी प्रकार आईपीसी के सेक्शन 295(A) के तहत भी तीन साल तक की सजा का प्रावधान है इसमें देश के किसी समुदाय की की केवल धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित है।।
यह भी धारा अजमांतीय प्रकृति का होता है।
सोशल मीडिया जैसे #व्हाट्सऐप,#फेसबुक , #इंस्टाग्राम , ट्वीटर आदि में आए मेसेज को हम बिना उसके सोर्स का पता लगाए ,फॉरवर्ड करते है ,साझा करते है ,सोशल मीडिया प्लेट फार्म में आए ऐसे मेसेज फॉरवर्ड करने से पहले अच्छी तरह से पढ़ना चाहिए कहीं ये धारा 153A एवम धारा 295 A का उलघन तो नही कर रहे। नही तो इन अजमानतीय धाराओं के प्रावधानों के अनुरूप आप पर कड़ी कार्यवाही हो सकती है,