Breaking: ओला और जलवृष्टि से फसल नुकसानी का मुआवजा दें मुख्यमंत्री,रीवा जिले सहित संपूर्ण मध्य प्रदेश का तत्काल कराया जाए सर्वे-शिवानंद द्विवेदी
10 दिवस के अंदर प्रक्रिया पूर्ण कर किसानों को दिया जाए मुआवजा // गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य रखा जाए ₹5000 प्रति क्विंटल // सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने ओला और असमय जलवृष्टि से किसानों की टूटी कमर पर शिवराज सिंह चौहान से मात्र घोषणाओं तक ही सीमित न रहने की की अपील।

दिनांक 21 मार्च 2023 रीवा मध्य प्रदेश। देश प्रदेश के अन्नदाताओं पर एक बार पुनः प्रकृति कहर बनकर टूट पड़ी है। जीवन की रोजमर्रा की जरूरत पूरी करने के लिए जद्दोजहद करने वाले अन्नदाताओं पर प्रकृति भी नाराज लग रही है। सरकारें और कॉरपोरेट तो गरीब अन्नदाताओं का शोषण कर ही रहे हैं पर समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएं भी रही सही कसर पूरी कर उन्हें बर्बाद कर देती हैं। हाल ही में पिछले दिनों रीवा संभाग सहित पूरे मध्यप्रदेश के कई जिलों में असमय ओलावृष्टि जलवृष्टि की वजह से लाखों हेक्टेयर की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सरसों चना मटर एवं तिलहन दलहन से लेकर आमतौर सर्वाधिक बोई जाने वाली गेहूं की फसल भी इस ओलावृष्टि और जलवृष्टि के प्रकोप में आ चुकी है और नष्ट हो गई है। किसान अपना माथा पकड़कर रो रहे हैं और उनके आंसू पोंछने के लिए घोषणावीर सरकारें मात्र घोषणाएं कर रही हैं। रीवा संभाग को ही देख लिया जाए तो अब तक जिला और संभाग के आला राजस्व अधिकारियों ने फसलों का निरीक्षण कर मुआवजा बनाने की कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं। जब किसानों और गरीब अन्नदाताओं की बात आती है तो सब इंतजार करते हैं की कुछ दिन बाद मामला ठंडा पड़ जाएगा और सब भूल जाएंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है की कॉरपोरेट और कंपनियों को मोटा लोन और रकम माफ करने वाली सरकारें और बैंक आखिर किसानों की संवेदनाओं के साथ कब जुड़ेंगे? क्या हमेशा ही किसानों को इसी तरह से प्रताड़ित किया जाएगा जिसमें न तो उनकी फसल का सही दाम मिल पा रहा है और खाद बीज की महंगाई और लागत दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि कर रही है। ऐसे में सरकारों की किसानों की आय दुगनी करने की घोषणाएं किसानों के व्यय में चार गुना वृद्धि अवश्य बनकर रह जाती हैं। मतलब साफ जाहिर है की आय तो दोगुनी हुई नहीं और लागत 4 गुनी अवश्य बढ़ गई है। अब ऐसे में भला अन्नदाता अपने बाल-बच्चों को कैसे पाले और कैसे अपने घरों की व्यवस्था करें।
स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश