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गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति द्वारा शिव तपोभूमि अमरकंटक में मनाया गया धुर रंग पंचमी

अमरकंटक। गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ एवं युवा प्रभाग छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश उड़िसा के संयुक्त तत्वावधान में रंग पंचमी धुर पंचमी महाकुम्भ शिव तपोभूमि आमूरकोट नर्मदा माता के आंगन में लाखों लोगों उपस्थिति में गोंडी धर्म गुरुदेव गुरूमाता , शिव शक्ति के आशीर्वाद और सानिध्य में लाखों लोगों की उपस्थिति में धुर पंचमी रंग पंचमी महाकुम्भ का आयोजन किया गया।
परमश्रद्धेय गुरूदेव द्वारा जन कल्याण की भावना से संदेश दिया गया।जिसमें अपने धर्म संस्कृति के तहत जन कल्याण की भावना से अपने धर्म संस्कृति रीति नीति परंपरा को बचाये रखने के उद्देश्य से *प्रकृति के परसा (पलास)के रंग, छत्तीसगढ़ व्यंजन गुरहा चीला के संग*
रंग पंचमी मनाया गया जिसमें लाखों लोग उपस्थित हुए तथा सभी को भोजन कराया गया।जो अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकार्ड है।
जिसके तहत असम के सांसद, कर्नाटक से मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा उत्तर प्रदेश झारखंड महाराष्ट्र से अतिथियों का आगमन हुआ।
जिसमें अपने समाज की अस्तित्व को बचाए रखने अपने मूल धर्म संस्कृति को संरक्षित रखने के साथ गोंडी/प्रकृति धर्म, के संरक्षण की मांग, गोंडी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने तथा अनुसूची क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूची, छठवीं अनुसूची के परिपालन में मुख्यमंत्री राज्यपाल राष्ट्रपति के नाम प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा एस डी एम /तहसीलदार अमरकंटक को ज्ञापन सौंपा गया।


आदिवासी संस्कृति ही मूल संस्कृति है जल जंगल जमीन की सुरक्षा तथा मूल रूप से आदिवासी ही करते आ रहे हैं। प्रकृति को संरक्षित सुरक्षित और संपूर्ण जीवन को सुरक्षित सुखी रखना है तो जंगलो की पर्यावरण सुरक्षा जरूरी है। अतः जंगलों का विनाश रोका जाना चाहिए।जिससे जनकल्याण विश्व कल्याण का रहस्य छिपा हुआ है। अतः हम सबका दायित्व है।हम सब मिलकर जल जंगल जमीन बचाने कार्य करें।
इन सब दृष्टि से गोंडी धर्म संस्कृति द्वारा समाज संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
उक्त जानकारी गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति प्रांतीय महासचिव आर .के .कुंजाम द्वारा दिया गया।

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