लम्बे समय तक हाई हील स्लीपर्स का उपयोग भी बन सकता है महिलाओं के जबड़े के जोड़ों में दर्द के कारण


रायपुर। इंडियन प्रॉस्थोडॉटिक्स सोसायटी छत्तीसगढ़ राज्य शाखा द्वारा राज्य के शासकीय एवं सभी निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालय के सहयोग से जबड़े के जोड़ों के दर्द से जुड़े दर्द एवं बीमारी के उपचार संबंधी विषय पर आयोजित कार्यशाला के प्रथम दिन राज्य एवं देश के अन्य जगहों से भाग ले रहे 200 से अधिक स्नातकोत्तर छात्रों एवं दंत चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं नवीन जानकारियों से परिपूर्ण रहा। कार्यशाला में जयपुर से आये प्रसिद्ध फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. हिमांशु माथुर ने बताया कि जबड़े के जोड़ों के दर्द के लिए न केवल उससे जुड़ी बीमारियां अपितु शरीर के विभिन्न पोश्चर से जुड़े विकार जैसे लंबे समय तक हाई हील स्पीपर पहनने के कारण हुए पोश्चुरल बदलाव भी
जबड़े के जोड़ों का दर्द का कारण बन सकता है। इसे ठीक करने में फिजियोथेरेपी का भी अहम योगदान और फिजियोथेरेपी के विभिन्न विधियों पर प्रकाश डाला। रोहतक से आये हरमीत सिंह ने बहुत ही रोचक ढंग से जबड़े से जुड़े जोड़ों के विकार के विभिन्न प्रकार, उसके कारण एवं परीक्षण के विधियों को समझाते हुए आधुनिक दवाईयों के लाभ तथा उनके उपयोग के तरीकों को विडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया।
अंत में चेन्नई से आये इंडियन प्रॉस्थोडॉटिक्स सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वी. रंगराजन जबड़े के जोड़ों के दर्द एवं विकार के लिए शोध द्वारा प्रमाणित कारणों को समग्र एवं विस्तृत रूप से समझाते हुए बताया कि कैसे इस विकार के लिए तनाव पूर्ण जीवन शैली, अनियमित सोने से जुड़ी बीमारियां एवं रात में दाँत घिसने की आदत मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं तथा उन्होंने दंत चिकित्सकों/प्रॉस्थोडॉटिस्ट द्वारा निर्मित ओरल स्पिलिंट इसके ईलाज में कितने कारगर एवं सहायक है।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि पं दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. चन्द्राकर ने ऐसे कार्यक्रमों से राज्य के सभी मेडिकल से जुड़े सभी छात्रों एवं शिक्षकों के ज्ञानवर्धन एवं नवीनतम उपचार से राज्य के निवासियों में होने वाले लाभ को रेखांकित करते हुए कार्यशाला के सफलता की कामना की। डॉ. विद्या वैद्य ने उद्घाटन समारोह में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस संबंध में स्वयं के अनुभव को साझा
किया और साथ ही इंडियन प्रॉस्थोडॉटिक्स सोसायटी छ0ग0 राज्य शाखा के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार चन्द्राकर ने इस विकार के उपचार हेतु विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों के समन्वय पर जोर दिया।