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DPDP ACT 2023 RTI को ख़त्म कर देगा!

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून के तहत RTI में किए गए संशोधनों पर देश के सामाजिक संगठनों ने नाराजगी.

 

मिहिर कुर्मी

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून 2023 के तहत RTI में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग तेज होने लगी है. सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान की ओर से इस कानून की धारा 44(3) के तहत सूचना के अधिकार कानून में किए गए संशोधनों को तत्काल वापस लेने की मांग उठने लगी है. सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं का मानना है कि ये संशोधन आरटीआई कानून को कमजोर कर रहे हैं. नागरिकों के मौलिक अधिकार पर गंभीर चोट कर रहे हैं. उन्होंने इस कानून के तहत RTI में किए गए संशोधनों को तुरंत वापस लेने की मांग की जाने लगी है.

विदित हो कि RTI कानून की धारा 8 (1) (0) में संशोधन किया गया है, इसमें सभी निजी जानकारी को किसी को नहीं देने की छूट दी गई है, जबकि पहले सार्वजनिक गतिविधि या जनहित में इस प्रकार की जानकारी का खुलासा किया जा सकता था.
इसी प्रकार आरटीआई कानून की धारा 8 (1) से वह प्रावधान भी हटा दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि ‘जो जानकारी संसद या राज्य विधानसभा को नहीं रोकी जा सकती, उसे किसी भी व्यक्ति से नहीं रोका जाएगा’. इससे आरटीआई कानून कमजोर हुआ है. साथ ही RTI के माध्यम से महत्वपूर्ण सरकारी रिकॉर्ड तक पहुंच थी, उसे रोक दिया गया है. इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को गहरा आघात पहुंचा है. जनता की अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की क्षमता कमजोर होती है.

दोधारी तलवार है डीपीडीपी कानून:

DPDP कानून वास्तव में गोपनीयता की रक्षा नहीं करता, बल्कि सरकारी नियंत्रण को मजबूत करेगा. यह कानून दोधारी तलवार है. एक ओर यह RTI कानून में संशोधन कर जानकारी उपलब्ध कराने के अधिकार को रोकता है, दूसरी ओर डेटा संरक्षण बोर्ड के जरिए इसमें सरकार को ज्यादा शक्तियां मिलेंगी. यहां तक कि इसमें 250 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इससे RTI का इस्तेमाल करने वाले पत्रकारों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों में डर का माहौल बनेगा.

आरटीआई को और मजबूत किया जाए:

आज आरटीआई कानून को कमजोर करने की कोशिश हो रही हैं, जबकि इसे और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि लोकतंत्र की नींव बनी रहे. डीपीडीपी कानून सामूहिक निगरानी और सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को खत्म कर देगा, क्योंकि अब वह जानकारी ही उपलब्ध नहीं होगी. RTI का उपयोग केवल शिकायत निवारण या भ्रष्टाचार के एक मामले के लिए नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक भागीदारी और सभी मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए होता है. RTI को संवैधानिक अधिकार के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए.

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