
राम रणधीर महा, राम रणवीर महा ।
मर्यादापालन हेतु, उत्कृष्ट वे निदर्श हैं ।।
राम सत्यव्रती महा, राम प्रजा वत्सल हैं।
राम सच्चरित्रता का, श्रेष्ठतम आदर्श हैं ।।
पूछे कोई शबरी से, पूछे कोई केवट से ।
वंचितों- पिछड़ों को भी, मान देने वाले राम ।।
न्याय की स्थापना हित, लोक के संतोष हित ।
राज वैभव छोड़ सब, कष्ट सहा करें राम ।।
सागर को सुखाने की, क्षमता से सम्पन्न राम ।
फिर भी प्रार्थना से ही, अपना बनावें काम ।।
कोमल कमल से भी , वज्र से कठोर राम ।
संतों पर कृपालु राम, दुष्टों के हन्ता हैं राम ।।
सत्य शिव सुंदर भी, प्रेरणा के मंदिर झ्भी ।
सर्वदा सशक्त राम, सर्वथा विरक्त राम ।।
सुनें कहीं आर्तनाद, त्राहिमाम त्राहिमाम ।
ँछोड़ निज सारे काम , रक्षा हेतु दौड़ें
राम ।।
काज सेतु बंधन का , करें वनवासी राम ।
वानरों को श्रेय सारा, बाँध का दिलावें राम ।।
राम नहीं नाम किसी , एक व्यक्ति का कोई ।
जन जन के मन की, श्रेष्ठ प्रवृत्ति राम है ।।
भेदभाव से रहित, जिसके सारे काम हैं ।
समता बंधुता वाली, प्रिय संस्कृति राम है ।।
राम जैसा कोई कहाँ, राम जैसे काम कहाँ ।
चित्रकूट दण्डक भी, उनके गुण गाते हैं ।।
राम उपकारी महा , राम धनुधारी महा ।
लोक के आराधन में, परम सुख पाते हैं ।।
उर्मिला देवी उर्मि ,
साहित्यकार ,सामाजिक- चिंतक , शिक्षाविद
रायपुर , छत्तीसगढ