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छत्तीसगढ़ के 35 वर्षीय युवक का सफलतापूर्वक लंग ट्रांसप्लांट हुआ नारायणा हैल्थ बैंगलोर में 

मरीज का मूल्यांकन डॉ. दिपेश मास्के (वरिष्ठ सलाहकार - पल्मोनरी चिकित्सा, एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल) द्वारा किया गया था।

 

रायपुर – 28 अप्रैल । हम काम करते हैं कमाने और एक स्वस्थ और संतोषजनक जीवन जीने के लिए, लेकिन कुछ स्थितियों में कार्यस्थल लोगों को व्यावसायिक बीमारी के खतरे से भी खरेद सकता है। यहाँ एक 35 वर्षीय पुरुष का केस है जिसे फेफड़ों की व्यावसायिक बीमारी हुई थी। वह सालों से एक पत्थर खनन कारखाने में काम करता था, जिससे उसे सिलिका से जुड़ी बीमारी का सामना करना पड़ा। सिलिका एक पदार्थ है जो कुछ प्रकार के पत्थर, चट्टान, रेत और मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इन पदार्थों के साथ काम करने से एक बहुत छोटी धूल उत्पन्न हो सकती है जो आसानी से साँस के ज़रिए शरीर में आसक्ति हैं।
इस पुरुष में सिलिकोसिस नामक फेफड़ों की एक लम्बे समय से चल रही बीमारी का पता लगाया गया, जो बड़ी मात्रा में एक क्रिस्टलाइन सिलिका धूल को साँस लेने से उत्पन्न होती है। विभिन्न उपचार प्रयासों के बावजूद, उसकी स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी और उसके फेफड़ों का प्रत्यारोपण कराने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। एक कड़ी से छानबीन के बाद और मूल्यांकन के बाद, मरीज को ट्रांसप्लांट के लिए एक उत्तम उम्मीदवार माना गया।
इस युवा पुरुष की आर्थिक स्थिति उपचार विकल्पों का समर्थन नहीं करती थी, लेकिन नारायण हेल्थ की पल्मोनरी टीम और सरकार की मदद ने उस मरीज को उपचार प्राप्त करने में सहायता की।
मरीज का मूल्यांकन डॉ. दिपेश मास्के (वरिष्ठ सलाहकार – पल्मोनरी चिकित्सा, एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल) द्वारा किया गया था । फेफड़ों का प्रत्यारोपण नारायणा हेल्थ सिटी, बैंगलोर में डॉ. बाशा खान (वरिष्ठ सलाहकार – लग ट्रांसप्लांट एवं पल्मोनरी चिकित्सा, नारायणा हेल्थ सिटी, बैंगलोर) द्वारा किया गया था। सर्जरी किसी भी समस्या के बिना सफल रही और मरीज अब अच्छी तरह से स्वस्थ हो रहा है।
“हमें अपने मरीज को आवश्यक उपचार और देखभाल प्रदान करने की बहुत खुशी है,” यह कहते हुए डॉ. बाशा खान (वरिष्ठ सलाहकार – फेफड़ों का ट्रांसप्लांट और पल्मोनरी) जिन्होंने इस टीम का नेतृत्व किया था। “इस ट्रांसप्लांट के सफल परिणाम से मरीजों को सर्वोत्तम देखभाल प्रदान करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का सबूत मिलता है।”
फेफड़ों का प्रत्यारोपण एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है जिसके लिए विशेषज्ञता और अनुभव की आवश्यकता होती है। नारायणा हेल्थ की टीम इस तरह की सर्जरियों को करने में उनकी कुशलता और विशेषज्ञता के लिए ख्यात है।
“हमें बहुत खुशी हो रही है कि हमारे मरीज को इस विकलांगता दायक बीमारी से लड़ने में हम मदद कर सके और उसे नई जिंदगी का नया मौका दे सके,” यह कहते हुए श्री तापनी घोष, फैसिलिटी डायरेक्टर, एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर ने कहा। “यह सफलता हमारी टीम की मेहनत, समर्पण और मरीजों को सर्वोत्तम देखभाल प्रदान करने की प्रतिबद्धता का परिणाम है।”

छत्तीसगढ़ स्थित इस मरीज की पूर्ण स्वस्थ होने की उम्मीद है और वह अपनी सामान्य गतिविधियों को जल्द से जल्द शुरू कर सकता है।

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