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“राष्ट्रीय भोजली महोत्सव” में शामिल होंगी राज्यपाल अनुसुईया उईके

रायपुर,07/08/2022। गोंड़ी धर्म संस्कृति संरक्षण एवं छत्तीसगढ़ गोंड़वाना समिति के तहत सावन पूर्णिमा पर राष्ट्रीय भोजली महोत्सव 2022 को आयोजन किया जा रहा है। 11 अगस्त दिन गुरूवार सुबह 7 बजे से कार्यक्रम प्रारंभ होगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ के राज्यपाल अनुसुईया उइके हैं। कार्यक्रम में आदिवासी संस्कृति, परंपरा के साथ भोजली माता को सिर में धारण कर रैली निकाली जाएगी। रैली बूढ़ा तालाब में स्थापित बूढ़ा देव की परिक्रमा के बाद अपने रीति-रिवाज से पूजा-पाठ का कार्यक्रम करेगी। इस समय समाज के सभी बच्चे, महिलाएं और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहेंगे। जो छत्तीसगढ़ के सामाजिक व्यक्तियों के अलावा मध्यप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड और महाराष्ट्र के सामाजिक प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। भोजली महोत्सव के कार्यक्रम को रायपुर के हृदय स्थल बूढ़ा तालाब इंडोर स्टेडियम में आयोजित किया गया है।


भोजली अनादिकाल से चली आ रही रूढ़ीगत, परंपरा व संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह मूलत: अन्न माता व प्रकृति की सेवा है। अंकुरित बीज का पल्लवित रूप को ही भोजली माता के रूप में जाना जाता है एवं सेवा की जाती है। इसे खुशी व हरियाली का प्रतीक भी माना जाता है। गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति एवं छत्तीसगढ़ गोड़वाना संघ अपनी बहुमूल्य संस्कृति विरासत को अक्षुण्य बनाए रखने की दिशा में निरंतर कार्यरत व कटिबद्ध है। समिति के द्वारा विगत 11 वर्षों से सावन मास पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजधानी रायपुर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ राष्ट्रीय भोजली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश व अन्य प्रदेश की माताएं अपने घरों में सावन मास उजियारी पक्ष अष्टमी के दिन अपने इष्ट देवी-देवताओं का स्मरण कर सात प्रकार के बीज जिसमें गेहूं की मात्रा अधिक सहित अन्य को साफ बर्तन में पानी से भिगो कर रखते हैं तथा नवमी के दिन भीगे हुए बीज को रेत की बालू में चुरकी (बांस से बने टोकरी) या पत्ते के बने दोने में बोई जाती है। अन्य भोजली माता की छह दिवस तक अपने-अपने घरों में पूरी आस्था और विश्वास के साथ पूजा अर्चना व सेवा की जाती है। पश्चात सभी भोजली माता को रायपुर में एकत्रित कर सावन पूर्णिमा के दिन सामूहिक रूप से संस्कृति महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों से भी प्रतिनिधि के रूप में गोंडी धर्म के अनुयायीगण शामिल होंगे। भोजली केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में परब विशेष में मघ्यप्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश आदि बोई जाती है जिसे विभिन्न नामों फुलरिया, घुंघिया, घैगा, भुजरिया या भोजली से जाने जाते हैं। समिति इस कार्यक्रम के माध्यम से अपनी व विलुप्त हो रही बहुमूल्य संस्कृति को अक्षुण्ण संरक्षित प्रचारित कर समाज को संगठित तथा प्रदेश देश व पूरे विश्व में मित्रवत खुशहाली समृद्धि हरियाली की कामना करती है।

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