कांग्रेस में तभी लौटूंगा जब बोलने की आज़ादी मिले-बृहस्पत सिंह, पूर्व विधायक

अंबिकापुर। कांग्रेस से निष्कासित आदिवासी नेता व पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि यदि उनकी शर्तों के साथ कांग्रेस उन्हें वापस नहीं लेती है तो वे नई राजनीतिक पार्टी का गठन कर छत्तीसगढ़ की जनता के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ते रहेंगे। वे किसी दूसरे राजनैतिक दल में नहीं जाएंगे।
कांग्रेस में वे तभी जाएंगे जब उन्हें बोलने की आजादी मिले क्योंकि कई बड़े नेताओं ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है लेकिन वे आलाकमान की नजरों में पार्टी के शुभचिंतक बने हुए हैं।बृहस्पत सिंह लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति करते रहे हैं। पहले वे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कट्टर समर्थक माने जाते थे। पिछली बार कांग्रेस के शासन में वे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विश्वासपात्र विधायकों में से एक थे।
पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के विरुद्घ गंभीर आरोप लगाने वाले बृहस्पत ने पिछले चुनाव से पहले कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी शैलजा पर भी निशाना साधा था। आखिरकार पार्टी संगठन ने न सिर्फ उन्हें संगठन से निष्कासित कर दिया था बल्कि विधानसभा चुनाव में टिकट भी नहीं दी थी। उनके बदले अंबिकापुर के मेयर रहे डा अजय तिर्की को रामानुजंगज विधानसभा से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। चुनाव में कांग्रेस को हार मिली और बृहस्पत पर आरोप लगे कि उन्होंने भाजपा प्रत्याशी से डील की थी।
भाजपा के लिए काम किया था और कांग्रेस को हराने का काम किया। निष्कासन के बाद बृहस्पत अलग-थलग पड़ गए थे क्योंकि बलरामपुर जिला कांग्रेस संगठन में भी उनके समर्थकों को जगह नहीं मिल सकी थी। हालिया दिनों में बृहस्पत फिर मुखर हुए हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्षों की चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में प्रदेश सह प्रभारी पर जिलाध्यक्ष के दावेदारों से रुपये मांगने का गंभीर आरोप लगाया था।
इतना ही नहीं बृहस्पत ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार के लिए बड़े नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदार बताया था। उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान चली। निपटो-निपटाओ का खेल चला इस कारण पार्टी की हार हुई।उन्होंने टीएस सिंहदेव पर भी कई व्यक्तिगत गंभीर आरोप लगाया।
इन बयानों के बाद बृहस्पत की कांग्रेस में वापसी की संभावनाओं को भी झटका लगा है शायद यही कारण है कि अब वे नई पार्टी बनाने की बात कह वरिष्ठ नेताओं की ओर अपना ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। पत्रकारों से चर्चा में बृहस्पत सिंह ने कहा कि कांग्रेस में वे अपनी शर्त पर जाएंगे। यह शर्त है बोलने की आजादी। यदि सच्चाई बोलने की आजादी की उनकी शर्त नहीं मानी गई तो वे कांग्रेस में नहीं जाएंगे। नई पार्टी बनाकर छत्तीसगढ़ की जनता के अधिकार और न्याय की लड़ाई लड़ेंगे।




