छत्तीसगढ़प्रमुख खबरें
बाल दिवस पर विशेष: लेखिका उर्मिला देवी उर्मि की रचना

नन्हीं चींटी
- चलती जाती नन्ही चींटी ।
मुंह से कुछ नहीं कहती चींटी।
चींटी को अनुशासन प्यारा।
उसका तरीका सबसे न्यारा ।
चींटी सबको क्या सिखलाती।
चलते चलते ही बतलाती।
देखो उसकी मेहनत को ।
समझो उसकी ताकत को ।
दाना लेकर जब वह चलती ।
न जाने कितनी बार फिसलती ।
पर जब तक मंजिल ना मिलती।
उस की तब तक चाल न रुकती।
हर न माने चलने में ।
मजा तभी है जीने में ।
यही सोच कर चलती चींटी ।
मंजिल को पा लेती चींटी।
कामयाब हो जाती चींटी ।
चलती जाती नन्ही चींटी
मौलिक रचना:
लेखिका
उर्मिला देवी उर्मि
साहित्यकार ,मंच संचालिका
रायपुर,, छत्तीसगढ़




