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लद्दाख में 20 दिनों से क्यों आमरण अनशन पर हैं सोनम वांगचुक

लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक पिछले 20 दिनों से आमरण अनशन पर हैं.

वांगचुक बताते हैं कि 1986 में उनके पिता ने आदिवासियों के अधिकारों के लिए आमरण अनशन किया था.

लेह लद्दाख,26 मार्च 2024। सोनम वांगचुक के आमरण अनशन का आज 20 वां दिन है . वांगचुक पिछले 20 दिनों से सोशल मीडिया पर अपनी भूख हड़ताल के बारे में सुबह और रात वीडियो अपडेट डाल रहे हैं. वांगचुक ने अपने अनशन का नाम क्लाइमेट फास्ट यानी पर्यावरण उपवास दिया है.

वांगचुक क्यों कर रहे हैं पर्यावरण उपवास

सोनम वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर 6 मार्च से लेह में भूख हड़ताल पर हैं. हर दिन उनके साथ सैकड़ों लोग समर्थन जताने के लिए भूखे रहते हैं और कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोते हैं.

वांगचुक की मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य देने की और संविधान की छठी अनुसूची लागू कराने की है. 6 मार्च को अनशन की शुरूआत करते हुए वांगचुक ने कहा था, “मैं आज फिर आप लोगों से मुखातिब हूं. मगर इस बार एक अनशन शुरू करने के लिए…आमरण अनशन. चुनाव आने के संदर्भ में इसे हम चरणों में करेंगे. 21-21 दिन के चरणों में, जब तक हमारे लद्दाख की आवाज सुनी नहीं जाती…जब तक सरकार लद्दाख पर ध्यान न दें.”

इससे पहले 3 फरवरी को लेह में इन मांगों के समर्थन में बड़ा प्रदर्शन हुआ था. उस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोग कड़ाके की ठंड के बावजूद सड़कों पर उतरे आए थे.

लद्दाख की लड़ाई

अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद लद्दाख को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख में कोई परिषद नहीं होगी. छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषद बना सकेंगे. इसके अलावा उनकी मांगों में दो लोकसभा की सीटें और एक राज्यसभा की सीट भी शामिल है.

अनुच्छेद 371 से क्या सुविधा मिलेगी?

अनुच्छेद 371 और 371-A से लेकर J में विशिष्ट राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जो अक्सर कुछ धार्मिक और सामाजिक समूहों को प्रतिनिधित्व देने के लिए और इन समूहों को राज्य और केंद्र सरकारों के हस्तक्षेप के बिना अपने मामलों पर स्वायत्तता का प्रयोग करने की अनुमति देते हैं. छठी अनुसूची के तहत एडीसी और एआरसी को प्रदान की जाने वाली व्यापक स्वायत्तता में कमी करते हुए अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान लद्दाख की स्थानीय आबादी के लिए सुरक्षा बढ़ाने की अनुमति देंगे.

फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस और लेह एपेक्स बॉडी के प्रतिनिधियों के बीच मांगों के समाधान के लिए बातचीत फेल होने के बाद लद्दाख में विरोध प्रदर्शन अब तेज हो गया है.

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