राधा अष्टमी विशेष : साहित्यकार उर्मिला देवी उर्मि की मौलिक रचना

भुवन मोहिनी भव्या श्रीराधा ।
जय वृषभानु तनया श्रीराधा ।।
गोकुल ग्रामस्य गोपालक: मोहन:।
बरसाने उद्भूता रम्या श्रीराधा ।।
महारास कारी लीलाधर: मोहन:।
दिव्यानंद कारिणी दिव्या श्रीराधा।।
चपलाचंचल: चितचौर: मोहन:।
सरला सुफला सौम्या श्रीराधा ।।
जगकर्ता दुखहर्ता मोहन:।
धनदा लक्ष्मी स्वरूपा श्रीराधा।।
गोपालै: आवृत्त: ब्रजमोहन:।
कीर्ति लतावत् प्रसृता: श्रीराधा ।।
नटवर: नंदनंदन: मोहन:।
नित्य नाट्ये नमिता श्रीराधा।।
विश्व मोहक: वंशीवादक: मोहन:
स्वर माधुर्ये विराजिता श्रीराधा।।
मधुसूदन: मन्मथ: मोहन:।
माया मनोहरा मधुरा श्रीराधा।।
दीनदयाल द्वारकाधीश: मोहन:।
मानिनी मनस्विनी मुदिता: श्रीराधा:।।
त्रिलोकी त्रितापहारी मोहन:।
त्रिगुणात्मिका त्रिगुणातीता: श्रीराधा।।
योगेश्वर: योगविहारी मोहन:।
योगसिद्धा योगस्थिता श्रीराधा।।
वासुदेव विजयध्वजधारी मोहन:
सर्वत्रा विजयस्वरूपा श्री राधा ।।
भुवनेंद्र: भक्तवत्सल: मोहन:
भक्तिभावसेव्या भक्तिप्रिया श्री राधा।।
कृपासिंधु दीनबंधु जगमोहन :।।
कृपालया: श्रीकान्हप्रिया श्रीराधा।।
शक्तिस्वरूपा श्रीराधा।।