छत्तीसगढ़प्रमुख खबरें

जीत में भी हार में भी ,समभाव रखना जान लो


गृहस्वामिनी अंतरराष्ट्रीय की काव्य गोष्ठी में कवयित्रियों ने अद्भुत समां बांधा

रायपुर। गृहस्वामिनी अंतर्राष्ट्रीय के स्ट्रीमयार्ड स्टूडियो में विगत सप्ताह आयोजित काव्य गोष्ठी में कवयित्रियों ने संविधान दिवस, भगवद्गीता जयंती और भारत की आजादी के 75 वर्ष तथा अन्य समसामयिक विषयों पर अपनी सशक्त रचनाओं से अद्भुत समां बांधा । गृहस्वामिनी की नेशनल एंबेसडर उर्मिला देवी ने जानकारी दी कि गृहस्वामिनी के पटल पर महीने भर में आयोजित की जाने वाली कथा गोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी कथा साम्राज्ञी ममता कालिया जी को समर्पित की जा रही हैं ।

कवियत्री किरण बिनानी ने बेरोजगारी दूर करने की आवश्यकता को इस प्रकार बयान किया —
स्वतंत्रता को हुए 75 साल/ पर हम कब हुए आजाद/ 2 किलो चावल देने से क्या होगा / गरीबी हटाओ/ पहले इनको रोजगार तो दिलाओ।

वरिष्ठ कवयित्री डॉक्टर कमल वर्मा ने पढ़ा
तीखे नश्तर से हैं ,बीते हुए वक्त के साए ।
डरता छुपता हूं कहीं ढूंढने ना आ जाए।

वरिष्ठ पत्रकार एवं कवयित्री रत्ना पांडे ने कुछ इस प्रकार संदेश दिया–

यह रिक्त अंजुरी लिए ना जाऊंगी / मैं दोनों हाथों को जोड़ लूंगी

संघमित्रा राएगुरु की कविता ने वातावरण में मधुर रस घोल दिया —
प्यार का सौदा बड़ा महंगा
खोना सस्ता हुआ , पाना महंगा

आशा आजाद कृति ने बाल श्रम के विरोध में पंक्तियां पढ़ी —
बाल हमारे अबोध होते , बाल रूप भगवान है/ वर्तमान में आज देख लो बाधित पथ उत्थान है/ बाल श्रम यह इस धरती पर विकट एक अपराध है।

गृहस्वामिनी अंतरराष्ट्रीय की संपादक अर्पणा सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
गोष्ठी का संचालन कर रही उर्मिला देवी उर्मि आह्वान किया –
गीता पढ़ो गीता पढ़ो / हार में भी जीत में भी सम भाव रखना जान लो/ है सत्य क्या , क्यों ग्राह्य है , पहचान लो।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button