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2 अक्टूबर को ग्राम सभाओं का महासम्मेलन एवं ग्राम-स्वराज रैली

रायपुर। गोंडवाना भवन से गांधी प्रतिमा, आजाद चौक, रायपुर) भारत के सच्चे लोकतंत्र में गाँव बुनियादी इकाई है। सच्चा लोकतंत्र केन्द्र में बैठे 20 लोगों से नहीं चल सकता। इसके लिए सभी गाँवों के लोगों को नीचे से ही काम करना होगा।

गाँव गणराज्य भारत का पुरातन परंपरा रही है. इस के लिए आदिवासी इलाको में बहुत लम्बे समय से, तिलका माझी, सिद्ध-कान्नु, बिरसा मुंडा बुडाधुर, वीर नारायण सिंह इत्यादि अनगिनत शहीदों में अंग्रेजी राज स्थापित होने के बाद भी संघर्ष लगातार चलाते रहे. गांधीजी की सात लाख गाँव गणराज्यों के महासंघ के रूप में आजाद भारत की कल्पना और उसके निर्माण के लिए संकल्प देश के आम जनता के मन में साये लोकतंत्र के प्रति गहरी आस्था जगाया था उसी भावना को मूर्तरूप देने हेतु संविधान में गाँव के स्तर पर पंचायतों की स्थापना के लिए अनुच्छेद 40 का प्रावधान किया गया यही नहीं आदिवासी इलाकों के लिए जवाहरलाल नेहरू के पंचशील का आधार तत्व उस दिशा में एक पहल कदम थी, सार तत्व यही था की राज्य व्यवस्था संप्रभु (Sover eign) होते हुए भी सहभागी सप्रभुता (Shared Sovereignty) सिद्धांत को मान्य कर कार्य करेगा लेकिन यह खेदजनक एतिहासिक सपाई है कि गाँव गणराज्य की मूल चेतना अंधाधुंध विकास की यात्रा में अनदेखी रह गयीं खास तौर पर आदिवासी इलाको में स्थानीय परपरागत आर्थिक सामाजिक व्यवस्था और राज्य औपचारिक तंत्र के बीच की विसंगति गहराती गयी.. इस चुनौती से मुकाबला करने के लिए आदिवासी परंपरा से संगत व्यवस्था स्थापित करने के लिए पुराना संकल्प दोहराया गया और 73वा सविधान संशोधन में अनुसूचित क्षेत्रों को सामान्य पंचायत व्यवस्था से बाहर रखने के लिए फैसला किया गया पंचायतों के लिए संविधानिक प्रावधानों को जरूरी अपवादों और संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों में लागू करने की तारतम्य में संसद ने पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम बनाया जो देश के सारे अनुसूचित क्षेत्रों पर 24 दिसम्बर 1996 में लागू हो गया इस कानून में बानसभा को स्वयम्भू गाँव समाज के औपचारिक रूप में स्थापित किया गया तथा ग्रामसभा को सभी तरह के कामकाज को अपनी परंपरा के अनुसार करने के लिए सक्षम है इस तत्व को मान्य करते हुए शामिल किया गया इस अधिनियम में सुधार की गुंजाइश होते हुए भी, आदिवासी शहीदों के अरमानों और गांधीजी के सपनों का गाँव गणराज्य की स्थापना की दिशा में पहला निर्णायक कदम है आईये आज़ादी के 75 साल में गांधीजी के ग्राम स्वराज संकलपना को साकार करने के लिए संकल्प ले।

ये सब होगे शामिल

छ.ग. बचाओ आंदोलन, सर्व आदिवासी समाज (रूढ़ी प्रथा आधारित), जिला किसान संघ राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकत्ता समिति), आखिल भारतीय आदिवासी महासभा, जन स्वास्थ कर्मचारी यूनियन,

भारत जन आन्दोलन, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), माटी (काकेर), अखिल भारतीय किसान सभा (छत्तीसगढ़ राज्य समिति) छत्तीसगढ़ किसान सभा, किसान संघर्ष समिति (कुरूद) दलित आदिवासी मंच (सोनाखान), जन मुक्ति मोर्चा, मूलवासी बचाओं मंच बस्तर, छ.ग. आदिवासी कल्याण संस्थान रायपुर, आदिवासी छात्र संगठन, रावघाट संघर्ष समिति, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा) आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर) सफाई कामगार यूनियन, एकता परिषद, मेहनतकश आवास अधिकार संघ (रायपुर) जशपुर जिला संघर्ष समिति, राष्ट्रीय आदिवासी विकास परिषद् (छत्तीसगढ़ इकाई, रायपुर) जशपुर विकास समिति, रिछारिया केम्पेन, भूमि बचाओ संघर्ष समिति (धरमजयगढ़ एवं अन्य साथी संगठन छत्तीसगढ़ इसकी जानकारी प्रेस वार्ता कर सरजू टेकाम सर्व आदिवासी समाज सुदेश टीकम छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन श्रीमती लोकेश्वरी नेताम अध्यक्ष महिला आदिवासी विकास परिषद गरियाबंद कल्याण पटेल छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा कार्यसमिति रमाकांत बंजारे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन साथ में अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे

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