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सहजन (मुनगा) Drumstick की खेती में 50 हजार लगाकर करें हर माह 50 हजार की कमाई

सहजन की पौध जुलाई से सितंबर माह के बीच लगाना चाहिए क्योंकि बारिश के मौसम में इसका अच्छा विकास होता है।


सहजन,मुनगा (Drumstick )भारत में प्रसिद्ध सब्जियों की फसल में से एक है, जिसे आमतौर पर मोरिंगा के नाम से जाना जाता है. आमतौर पर इसकी पत्तियों, बीज की फली या पेरिकार्प के लिए उगाया जाता है. पत्तियों का सब्जी में किया इस्तेमाल किया जाता है और कई स्वादिष्ट व्यंजनों में फली भी डाली जाती है. सहजन की उत्पत्ति भारत में हुई, लेकिन इसके चिकित्सीय उपयोगों के कारण यह अन्य देशों में भी इसकी भारी मांग है.

सहजन का पेड़, मोरिंगा अपनी बहुउद्देशीय विशेषताओं, व्यापक अनुकूलन क्षमता और स्थापना में आसानी के लिए जाना जाता है. इसके पत्ते, फली और फूल सभी मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए लाभदायक होते हैं, क्योकि इनमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

सहजन की अच्छी किस्म के बारे में

  • सहजन की फसल को वर्ष में दो बार प्राप्त करने के लिए मौजूदा उन्नत किस्में :  पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयंबटूर 1 व् कोयंबटूर 2 हैं। 
  • इन किस्मो में उगने वाले पौधे 4 से 6 मीटर ऊंचे तथा इसमें 90 से 100 दिनों में फूल देने लगते हैं. इसकी विभिन्न अवस्थाओं में आवश्यकतानुसार तुड़ाई की जा सकती है.
  • इस किस्म के पौधों से 4 से 5 वर्षो तक फसल को प्राप्त किया जा सकता है। प्रत्येक वर्ष फसल को प्राप्त करने के बाद पौधों को जमीन से एक मीटर की ऊंचाई से काटना चाहिए.
सहजन की खेती के लिए जलवायु

सहजन की विशेषता यह  है  कि इसकी खेती ऐसे क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जहां पर पानी की कमी है. यह गर्म और नम जलवायु में वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है और शुष्क जलवायु फूल आने के लिए उपयुक्त होती है.  सहजन में फूल आने के समय 25-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है

सहजन की खेती के लिए मिट्टी

सहजन की खेती अच्छी तरह से जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी में  होती है एंव इसकी अच्छी बढत के लिए मिट्टी का पीएच 6.2 से 7.0  के बीच सबसे अच्छा माना जाता है.

सहजन के पौध की नर्सरी उगाना

सहजन की खेती में यदि आप नर्सरी का उपयोग करना चाहते हैं, तो लगभग 18 सेमी ऊंचाई और 12 सेमी व्यास वाले पॉली बैग का उपयोग करें. थैलियों के लिए मिट्टी का मिश्रण हल्का होना चाहिए यानी 3 भाग मिट्टी से एक भाग रेत होनी चाहिए, प्रत्येक थैली में दो या तीन बीज एक से दो सेंटीमीटर गहराई के साथ रोपने चाहिए. इसमे 5-12 दिनों के बीच अंकुरण हो जाता है. यह पौध जुलाई से सितंबर माह के बीच लगाना चाहिए क्योंकि बारिश के मौसम में इसमें विकास अच्छे से होता है साथ ही इसमें सिचाई की जरुरत नही पड़ती.

सहजन के पौधे की सिंचाई

सहजन के पौधे को ज्यादा पानी देने की जरूरत नहीं होती. बहुत शुष्क परिस्थितियों में,पहले दो महीनों के लिए नियमित रूप से पानी दें और उसके बाद तभी जब पेड़ स्पष्ट रूप से पीड़ित हो,इनमें जब भी पर्याप्त पानी उपलब्ध होता है, तो इसके पेड़ फूल और फली पैदावर करते है. यह फसल काफी कठोर होती है और शुष्क मौसम के दौरान दो सप्ताह में एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और व्यावसायिक खेती के लिए, ड्रिप सिंचाई को गर्मियों के दौरान प्रति पेड़ 12 से 16 लीटर पानी की दैनिक दर से और अन्य मौसमों के दौरान इस दर से आधी दर से अपनाना चाहिए.

छंटाई-पौध की कटाई का अभ्यास पौध रोपण के डेढ़ वर्ष बाद सर्दियों के महीनों के साथ लगभग 3 फीट की ऊंचाई पर किया जा सकता है और प्रति पेड़ 4-5 शाखाएं भू स्तर से दो फीट ऊपर होनी चाहिए.

कटाई-जब इसके उपभोग के लिए फली की कटाई करते हैं, जब फली परिपक्व हो एंव आसानी से टूट जाए.

सहजन की खेती से मुनाफा एवं पैदावार

सहजन की खेती करने में मुनाफा बहुत अधिक होता है. क्योकि इसमें आप सहजन के फल, फूल एवं पत्तियों तीनों को बेचकर कमाई कर सकते है, क्योकि ये तीनों ही बाजार में बिकते हैं. तीनों चीजों की काफी मांग भी रहती है. साल में दो बार फल देने वाले सहजन की किस्मों की तुड़ाई फरवरी से मार्च और सितम्बर से अक्टूबर में होती है. सहजन की तुड़ाई बाजार और मात्रा के अनुसार 1 से 2 माह तक चलता है। सहजन के फल में रेशा आने से पहले ही तुड़ाई करने से बाजार में मांग बनी रहती है और इससे लाभ भी ज्यादा मिलता है. प्रत्येक पौधे से लगभग 40 से 50 किलोग्राम सहजन सालभर में प्राप्त हो जाता है. यदि आप इसे 1 एकड़ की जमीन में भी लगाते हैं, तो इससे आप प्रतिवर्ष 6 लाख रूपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं. सहजन की खेती से लेकर इसे बेचने तक के पूरे काम के लिए आपको केवल 50 से 60 हजार रूपये तक का ही खर्च आता है. इस तरह से सहजन की खेती करने के व्यवसाय से आप कम पैसों में अधिक फायदा प्राप्त कर सकते हैं.

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