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अनियमित कर्मचारियों की बार-बार, भिन्न-भिन्न प्रकार की जानकारी मांग कर “नियमितीकरण को अनदेखा” कर रही है कांग्रेस सरकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ नियमितीकरण सहित 4 सूत्रीय मांग को लेकर निरंतर आन्दोलनरत है तथा इसी क्रम में 01 से 7 सितंबर 2022 तक आन्दोलन किया तथा 1 सितंबर से प्रदेश के लाखों अनियमित कर्मचारी हड़ताल में थे, 5 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास घेराव के लिए निकले थे जो 72 घण्टे बाद धरना स्थल मंच पर वापस आये। आन्दोलन के दबाव में सामान्य प्रशासन विभाग ने गठित कमेटी के बैठक दिनांक 16.08.2022 का हवाला देते हुए समस्त विभाग से अनियमित कर्मचारियों की 5 बिन्दुओं पर जानकारी तत्काल उपलब्ध करने लेख किया गया है|

सरकार अपने वादे को पूरा न कर अनियमित आन्दोलन को येन-केन प्रकारेन दबाने की कोशिश कर रहा है तथा बार-बार भिन्न-भिन्न प्रकार की जानकारी मांग कर अनियमित कर्मचारियों को गुमराह करने, आपस में लड़ाने का कार्य कर रही है|

माननीय मुख्यमंत्री ने अपने नोटशीट दिनांक 22.07.2019 के माध्यम से “शासन के विभिन्न विभागों और उनके अधीन निगम/मंडलों में दैनिक वेतन भोगी/कार्य भारित/संविदा/प्लेसमेंट एजेंसी अथवा अन्य अस्थायी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के सम्बन्ध में विवरण प्रस्तुत किये जाने” मुख्य सचिव को निर्देशित किया| मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन ने अपने नोटशीट दिनांक 23.07.2019 के माध्यम से “10 दिनों के भीतर” जानकारी प्रस्तुत करने सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देश दिए| सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने पत्र दिनांक 26.07.2019 को पत्र जारी कर “3 दिवस में जानकारी प्रस्तुत करने समस्त सचिव, विभाग” को पत्र लिखा|

समान्तर रूप से दिनांक 08.03.2019 को अनियमित/दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न कर्मचारी संघों द्वारा की गई मांग का परिक्षण करने अपर मुख्य सचिव गृह विभाग के अध्यक्षता में समिति गठित की गई| फिर इसे निरस्त कर दिनांक 11.12.2019 को प्रमुख सचिव, वाणिज्य विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित की गई| समिति के निर्देशों का हवाला देते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने पूर्व में भी दिनांक 08.09.2020, 16.12.2020 को जारी पत्र के माध्यम से समस्त विभाग से अनियमित कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी तथा वर्तमान में 13.09.2022 को पत्र के माध्यम से जानकारी मांग रही है| माननीय मुख्यमंत्री बार-बार सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर नियमितीकरण के विषय को टालते है परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने चंदरमोहन नेगी विरुद्ध हिमाचल प्रदेश सरकार 17.04.2020 में स्पष्ट कर चुका है कि कोई कर्मचारी से निरंतर कार्य लिया जा रह है तो उमा देवी जजमेंट के आधार पर उनके नियमितीकरण को नहीं रोक सकते|

सामान्य प्रशासन ने माननीय मुख्यमंत्री की मंशा को अनदेखा करते हुए 26.07.2019 के पत्र में मांगी गई जानकारी एवं 13.09.2022 में मांगी गई जानकारी के स्वरूपों में जमीन-आसमान का अंतर है| इस क्रायटेरिया से 99 प्रतिशत अनियमित कर्मचारी बाहर हो जायेंगे क्योंकि 99 प्रतिशत कर्मचारी – प्लेसमेंट, 200 से अधिक केंद्र प्रवर्तित योजना में कार्यरत कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी/श्रमिक, पंचायत भृत्य, गो सेवक, किसान मित्र, वेक्सिन वाहक, रसोइया, मितानिन, आंगनबाड़ी कर्मचारी रूप में कार्यरत कर्मचारी है| इस प्रकार की कार्यवाही अनियमित कर्मचारियों के सपनो पर कुठाराघात है एवं टालने वाली कार्यवाही है|

माननीय मुख्यमंत्री से हम आपके माध्यम से अनुरोध करते है कि घोषणापत्र में किये वादे के अनुरूप प्रदेश के समस्त अनियमित कर्मचारियों को नियमित करें| अन्यथा हम अपने 4 सूत्रीय मांग हेतु प्रतिबद्ध है, और नई ऊर्जा एवं रणनीति के साथ अनियमित आंदोलन को अपनी लक्ष्य तक पहुंचाएंगे।

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