प्रमुख खबरेंमध्यप्रदेश एवं बुंदेलखंड

MP breaking: 4 जांचें 9 गंभीर धाराओं में एफआईआर फिर भी दोषी कर रहे मौज मामले में ग्राम पंचायत टेहरा के तत्कालीन सचिव स्व भैयालाल पांडेय एवं राम उजागर पांडेय और सरपंच इंद्रपाल सोनी सहित उपयंत्री अजय तिवारी और सहायक यंत्री अनिल सिंह पाए गए थे दोषी

दोष सिद्ध होने के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही // थाना गढ़ के तत्कालीन टीआई विनोद कुमार सिंह के द्वारा 9 धाराओं में दर्ज की गई थी एफ आई आर // भारतीय दंड संहिता 1860 की कई धाराएं 420, 467, 468, 469, 471, 120 बी एवं 34 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1) एवं 13(2) के तहत दर्ज हुई थी एफआईआर // गंभीर धाराओं में एफआईआर के बावजूद भी पुलिस ने नहीं किया चालान पेश // जांच के नाम पर वर्ष 2018 से अब तक चल रही लीपापोती // गंभीर धाराओं में मामला दर्ज होने के बाद भी स्थानीय पुलिस ने पंचायती भ्रष्टाचार के मामले में कार्यवाही का नही किया प्रयास // मामले को दबाने में स्थानीय विधायकों और नेताओं के नाम भी आ रहे सामने

दिनांक 16 सितंबर 2022 रीवा मध्य प्रदेश

रीवा जिले में हमेशा ही अपने भ्रष्टाचार और काले कारनामे के लिए चर्चित गंगेव जनपद में एक बार पुनः गंभीर मामला प्रकाश में आया है। टेहरा ग्राम पंचायत के भूतपूर्व सरपंच रघुवंश प्रसाद पांडेय एवं एयर फोर्स के रिटायर्ड विंग कमांडर अरुण कुमार पांडेय के द्वारा बताया गया कि उनकी ग्राम पंचायत टेहरा में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ जिसमें मृतक, शासकीय सेवकों, नाबालिग लड़के लड़कियों और भूतों पिशाचों के नाम पर फर्जी मस्टररोल जारी किया जाकर राशि की निकासी की गई। मामला यहीं नहीं रुका और पंचायत के अन्य मनरेगा एवं पंच परमेश्वर मद से कराए जाने वाले कार्यो में भी व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार देखने को मिला जिसकी शिकायतें अरुण पांडेय और भूतपूर्व सरपंच के द्वारा की गई थी। इस मामले पर जांच भी हुई और तत्कालीन ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री संभाग क्रमांक 1 ढाल सिंह एवं एके जैन के द्वारा जांच में दोषी पाए गए और दस्तावेज खुर्द बंद करने, दस्तावेज नष्ट करने, दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने, गलत और कूटरचित तरीके से मस्टररोल बनाने, मृतकों और भूतों के नाम पर मास्टर रोल जारी किए जाने और अपने व्यक्तिगत हित के लिए शासकीय संपत्ति का दुरुपयोग करने के लिए तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा मयंक अग्रवाल एवं निलेश पारेख के द्वारा कार्यवाही की गई और वसूली निर्धारित करते हुए पुलिस थाना गढ़ में भारतीय दंड संहिता 1960 की धारा 420, 467, 468, 469, 471, 120 बी और 34 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1) एवं 13(2) के तहत संगीन अपराधों के लिए एफ आई आर दर्ज करवाई गई।

अब बड़ा सवाल यह था कि इतने गंभीर मामलों के बावजूद भी पुलिस ने मामले में विवेचना और जांच के नाम पर लीपापोती करने का प्रयास किया। जबकि पुलिस को इन गंभीर धाराओं में दर्ज मामलों पर किसी भी प्रकार से खात्मा और खारिजी लगाने का कोई भी अधिकार नहीं है। और यदि कोई खात्मे की कार्यवाही होती है तो मात्र सक्षम न्यायालय के द्वारा पर्याप्त ट्रायल के बाद ही की जा सकती है परंतु इसके बाद भी पुलिस ने जांच के नाम पर मामले में खात्मा भी लगाने का प्रयास किया और जब इसकी शिकायत एक बार पुनः हुई है तो मामले में नए सिरे से कार्यवाही प्रारंभ होना बताया जा रहा है।

हाईकोर्ट जबलपुर से 2 सदस्यीय जजों की बेंच ने सरपंच को नहीं दी राहत, सीआरपीसी 482 की याचिका की खारिज

जस्टिस अरुण कुमार शर्मा एवं शील नागू द्वारा याचिका क्रमांक एम सी आर सी 25833/2022 दिनाँक 15/06/2022

जब मामले में कहीं से राहत नहीं मिली तो तत्कालीन सरपंच इंद्रपाल सोनी के द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में कुछ याचिकाएं भी लगाई गई। शिकायतकर्ताओं द्वारा बताया गया कि इसके पहले दो याचिकाएं हाईकोर्ट जबलपुर में लगाई गई है जिसमें एक याचिका में संबंधित सचिवों के ऊपर आरोप लगाए गए कि भ्रष्टाचार सचिवों के द्वारा किया गया और सरपंच को फंसाया गया और दूसरी याचिका थाना गढ़ में दर्ज गंभीर धाराओं में उक्त एफआईआर को निरस्त करने हेतु सीआरपीसी के सेक्शन 482 के तहत लगाई गईं। लेकिन दोनों ही मामलों में कोई राहत नहीं मिली और 2 जजों की बेंच जस्टिस अरुण कुमार शर्मा एवं शील नागू द्वारा याचिका क्रमांक एमसीआरसी 25833/2022 दिनाँक 15/06/2022 पर मामले में अपना ओपिनियन देते हुए कहा कि मामला निचली अदालत से संबंधित है और संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज है इसलिए मामले को निरस्त या क्वैश नहीं किया जा सकता और इसकी सुनवाई निचली अदालत में ही की जानी चाहिए इस प्रकार एफआईआर क्वैश करने के लिए लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट जबलपुर के द्वारा निरस्त कर दिया गया।

याचिका निरस्त होने के बाद भी स्थानीय पुलिस के द्वारा मामले में की जा रही लीपापोती

शिकायतकर्ता भूतपूर्व टेहरा ग्राम पंचायत के सरपंच रघुवंश प्रसाद पांडेय एवं रिटायर्ड एयर फोर्स विंग कमांडर अरुण कुमार पांडेय के द्वारा बताया गया कि अब सवाल यह है कि यदि हाईकोर्ट के 2 जजों की बेंच ने एफआईआर निरस्त करने के लिए लगाई गई सीआरपीसी के सेक्शन 482 के तहत याचिका को निरस्त कर दिया है तो फिर संबंधित सरपंच इंद्रपाल सोनी एवं तत्कालीन सचिव राम उजागर पांडेय को पुलिस गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? जाहिर है यदि संगीन धाराओं में अपराध दर्ज हैं तो तत्काल चालान पेश किया जाना चाहिए और दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

तत्कालीन सिरमोर मजिस्ट्रेट वंदना सोनी का विवादित जजमेंट जिसे विशेषज्ञ पचा नहीं पा रहे

बता दें कि मामले में एक नया मोड़ तब आया जब टेहरा ग्राम पंचायत के सरपंच इंद्रपाल सोनी के द्वारा स्थानीय मजिस्ट्रेट सिरमौर के समक्ष एक याचिका लगाई गई जिसमें तत्कालीन सरपंच के द्वारा तत्कालीन सचिवों के विरुद्ध षड्यंत्र करने आदि और गलत ढंग से उन्हें फसाए जाने के लिए एफआईआर निरस्त करने के लिए मांग की थी। मामला फर्जी तरीके से सिग्नेचर बनाकर कार्य किये जाने का भी था। मामले में तत्कालीन मजिस्ट्रेट बंदना सोनी द्वारा बिना सिग्नेचर एक्सपर्ट से जांच कराए हुए विवादित तरीके से अपना जजमेंट दिया जिसमें उन्होंने कहा की ऐसा प्रतीत होता है की किये गए हस्ताक्षर एक जैसे हैं। एक्सपोर्ट यह सवाल कर रहे हैं कि बिना सिग्नेचर विशेषज्ञ क्या कोई मजिस्ट्रेट ऐसा विवादित आदेश दे सकता है? इसके साथ ही तत्कालीन सिरमौर मजिस्ट्रेट वंदना सोनी के द्वारा कुल 9 संगीन धाराओं में दर्ज एफआईआर में से मामले की कुल 5 धाराओं को निरस्त किए जाने का भी आदेश दिया गया।

यदि मजिस्ट्रेट ने 5 धाराओं को निरस्त करने के आदेश दे भी दिए तो शेष 4 गंभीर धाराएं कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार

विशेषज्ञों और शिकायतकर्ताओं का मानना है कि सबसे पहले तो सिरमौर के तत्कालीन मजिस्ट्रेट बंदना सोनी के द्वारा जिन 5 धाराओं को निरस्त करने के आदेश दिए गए वह उनके कार्यक्षेत्र के बाहर थे क्योंकि जिन धाराओं को निरस्त किया गया वह कुछ विधि विशेषज्ञों के द्वारा मजिस्ट्रेट के कार्य क्षेत्र के बाहर बताया गया। अब सवाल ये भी था कि यदि 5 धाराओं को निरस्त भी करने तत्कालीन मजिस्ट्रेट वंदना सोनी के द्वारा विवादित आदेश दिया भी गया तो शेष 4 धाराएं जिसमें से 2 धाराएं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत 13(1) एवं 13(2) सम्मिलित हैं एवं साथ में 420, 120 बी सम्मिलित हैं उनको निरस्त करने के आदेश तो अभी तक किसी सक्षम न्यायालय ने नहीं दिए तो फिर स्थानीय पुलिस के द्वारा मामले पर गिरफ्तारी करते हुए चालान पेश क्यों नहीं किया गया?

शिकायतकर्ता अब खटखटाएंगे हाईकोर्ट का दरवाजा

इस मामले में शिकायतकर्ता एयर फोर्स के रिटायर्ड विंग कमांडर अरुण कुमार पांडेय और भूतपूर्व टेहरा ग्राम पंचायत के सरपंच रघुवंश प्रसाद पांडेय का कहना है कि वर्ष 2018 में एफआईआर दर्ज हुई और कुल 9 गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध हुआ परंतु इसके बावजूद भी पुलिस मात्र मामले में हीलाहवाली और लीपापोती कर रही है और बिना गिरफ्तारी और चालान पेश किए हुए मामले में लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है।
शिकायतकर्ता के द्वारा बताया गया कि वह तत्कालीन सिरमौर मजिस्ट्रेट बंदना सोनी के आदेश से भी संतुष्ट नहीं है और उसकी जानकारी भी उन्हें काफी समय बाद वर्ष 2022 में प्राप्त हुई है इसलिए वह अब हाईकोर्ट में पिटीशन दायर करने पर विचार कर रहे हैं जिसमें इन सभी आदेशों को चैलेंज किया जाएगा और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की जाएगी।।

मामले पर वाइट – क्रमांक 1 एयर फोर्स के रिटायर्ड विंग कमांडर अरुण कुमार पांडेय एवं बाइट क्रमांक 2 भूतपूर्व टेहरा ग्राम पंचायत के सरपंच श्री रघुवंश प्रसाद पांडेय।

संलग्न – कृपया संलग्न मामले की पीडीएफ फाइल जांच प्रपत्र, जांच रिपोर्ट एवं साथ में एफआईआर की कॉपी प्राप्त करने का कष्ट करें।

स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button