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नवनिर्मित जिला मोहला-मानपुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संभाग आयुक्त से सुपरवाइजर द्वारा प्रताडि़त करने शिकायत की

संभागायुक्त ने जांच करवाकर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया

मोहला। महिला एवं बाल विकास विभाग की एक सुपरवाइजर द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत संभाग आयुक्त दुर्ग तक पहुंची है, जहां पीड़ित कार्यकर्ताओं को उचित कार्यवाही का आश्वासन मिला है। मामला नवीन जिलामानपुर- मोहला- अंबागढ़- चौकी का है।

जिले के मोहला परियोजना अंतर्गत गोटाटोला नामक सेक्टर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संभाग आयुक्त महादेव कावरे से मिलकर सुपरवाइजर हेमलता वर्मा की गंभीर और तथ्यात्मक शिकायत की है। शिकायत के साथ-साथ यह भी जानकारी दी गई है कि सुपरवाइजर हेमलता वर्मा की करतूतों की जानकारी परियोजना अधिकारी योगेश भगत को कई बार मौखिक रूप से दी जा चुकी है, लेकिन परियोजना अधिकारी ने शिकायतों को नजरअंदाज करने तथा सुपरवाइजर को बचाने के सिवा कुछ नहीं किया है। इसका खामियाजा अब तक तमाम कार्यकर्ता ही भुगत रही हैं। यही कारण है कि शिकायत अब संभाग आयुक्त तक पहुंच गई है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संभाग आयुक्त श्री कावरे को बताया कि सुपरवाइजर हेमलता आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से मातृत्व अवकाश के एवज में एक-एक माह का मानदेय वसूली करती है। वह अभद्र व्यवहार करते हुए कहती है कि अगर तुम लोग मेरा कहना नही मानकर नियम-कायदों की बात करोगी तो मैं इतनी कड़ाई बरतूंगी कि तुम सभी लोगों को काम छोड़कर भागना पड़ जायेगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संभाग आयुक्त को बताया है कि सुपरवाइजर हेमलता मोबाइल में पोषण ट्रैकर एप्प डाउनलोड करने के लिए बुरी तरह दबाव बना रही है, जबकि मोबाइल का वितरण किया ही नहीं गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती हैं कि अल्प मानदेय (बमुश्किल 6500 रुपए, जो समय पर मिलता भी नही, मिलता है तो किस्तों में) के भरोसे एंड्रॉयड मोबाइल खरीद पाना और उसे मेंटेन करना उनके वश की बात नही है। इसकी लिखित जानकारी भी विभाग को कई बार दी जा चुकी है, लेकिन मोबाइल वितरण अभी तक नही किया गया। सुपरवाइजर हेमलता इन सभी तथ्यों को सुनने से इंकार करती है और कहती है कि जो मैं कह रही हूं, वही करो। मेरी शिकायत जहां करना है, कर दो। मेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता।

जांच कराएंगे, कार्रवाई होगी : संभाग आयुक्त

इस संबंध में संभाग आयुक्त महादेव कावरे से जब बातचीत की गई तब उन्होंने इस शिकायत की पुष्टि की। उन्होंने कहा है कि मामले की जांच कराएंगे और जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई करेंगे। आयुक्त ने निष्पक्ष जांच की बात कही है।

भावुक हो गईं पीड़ित कार्यकर्ताएं


आयुक्त के समक्ष शिकायत लेकर पहुंची आंगनबाड़ी कार्यकर्ता असल में मोहला इलाके की ऐसी जगहों से आई थीं, जो दूरस्थ और जनजातीय बाहुल्य है। आयुक्त के सामने वे अपनी मन की बातें शब्दों से तो कम, लेकिन अपनी रुआंसी अभिव्यक्ति से ज्यादा बोल रही थीं। आयुक्त ने उनकी भावनाओं को समझते हुए जैसा प्रेमपूर्वक, सौहार्दपूर्वक आश्वासन दिया, उससे वह प्रशासन के प्रति आस्था दिखाते हुए भावुक हो गईं।

आग की तरह फैली खबर, और तिकड़म शुरू


सूत्रों से ताजा जानकारी मिल रही है कि जैसे ही संभाग आयुक्त तक शिकायत जाने की भनक उन सुपरवाइजर और उनको संरक्षण देने वाले अधिकारी/नेताओं को लगी, तुरंत बचाव की कोशिशें शुरू हो गई हैं। उनकी कोशिश यही है कि बस जांच में किसी भी तरह से खुद को सुरक्षित कर लें। हैरानी की बात यह है कि जिन अधिकारियों पर संबंधित विभाग, प्रशासन और सरकार की छवि की जिम्मेदारी होनी चाहिए, वे भी सुपरवाइजर के कारनामों पर परदा डालने में अपनी ऊर्जा व्यर्थ गवां रहे हैं, जबकि पीड़िताओं की फौज देखकर किसी को भी यह पता चल सकता है कि सुपरवाइजर पर लगाए गए आरोप वाकई में कितना सही है। बहरहाल, ऐसे तिकड़मों के कारण अब उन लोगों के भी नाम के खुलासे की संभावना बढ़ गई है जो किसी ना किसी रूप में सुपरवाइजर को साथ देने में शामिल हैं। इसमें राजनादगांव के अलावा अन्य जिले के भी नेता और अधिकारी शामिल हैं।

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