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मोहन नारायण ने सुनाई जनजाति नायकों की शौर्य गाथा तालियों से गूंजा IIT भिलाई

पिछले 15 वर्षो से शहीदों, क्रांतिकारियों और महापुरुषों के सम्मान की अलख जगाने वाले शहीद समरसता मिशन के संस्थापक मोहन नारायण की बुलंद आवाज़ अब देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान (IIT) भिलाई में गूंज रही है. मोहन ने न केवल जनजती स्वतंत्रता के नायकों का शोर्यगान किया बल्कि देश के भविष्य यानी आईआईटी के होनहार छात्र– छात्राओं और बुद्धिजीवियों को सोचने पर मजबूर कर दिया की क्या हम सच में देश की आजादी के असली नायकों के इतिहास को जानते हैं? क्या इतिहासकारों ने हमारे योद्धाओं के साथ न्याय किया है? क्या देश आज इन नायकों का कर्जदार है या नहीं?

दरअसल, भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान (IIT) भिलाई में व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि मोहन नारायण ने कहा कि
संथाल क्रांति के अमर वीरों के बिना भारत का इतिहास अधूरा है सिद्दू, कानू ,चान, भैरव के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान हुए 50 हजार जनजाति वीरों के बलिदान को छुपाना राष्ट्रीय अपराध है.
युवा पीढ़ी के सामने सवाल है ये किसने किया?क्यों किया?

इस दौरान मोहन नारायण ने रानी दुर्गावती, भगवान बिरसा मुंडा, रानी रानी गाइदिन्ल्यू, टंट्या मामा भील, भीमा नायक, तिलका मांझी जैसे आदिवासी नायकों के योगदान पर प्रकाश डाला. वहीं जनजाति नायकों की शौर्य गाथा सुन सभागार तालियों से गूंज उठा.

आपको बता दें कि भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान (IIT) भिलाई, जीईएसी रायपुर एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “जनजाति नायकों का स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान” विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया. इस अवसर पर श्री अनंत नायक जी (सदस्य एनसीएसटी, भारत सरकार), EVM के आविष्कार और IIT रायपुर के निदेशक प्रो. रजत मूना जी, IIT दिल्ली के प्रो.विवेक कुमार जी उपस्थित रहें.कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रोफेसर, बुद्धिजीवी, शोधार्थी, वैज्ञानिक और छात्र शामिल हुए.

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