छत्तीसगढ़प्रमुख खबरें

संथाल क्रांति के अमर वीरों के बिना भारत का इतिहास अधूरा है – मोहन नारायण

संथाल क्रांति के अमर वीरों के बिना भारत का इतिहास अधूरा है सिद्दू, कानु, चान, भैरव के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान हुए 50 हजार जनजाति वीरों के बलिदान को छुपाना राष्ट्रीय अपराध हैयुवा पीढ़ी के सामने सवाल है ये किसने किया?क्यों किया?
यह बात शहीद समरसता मिशन के संस्थापक मोहन नारायण ने भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान (IIT) भिलाई में व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि कही.

जनजाति नायकों की शौर्य गाथा का वर्णन करते हुए मोहन नारायण ने बताया की स्वतंत्रता संग्राम के समर में मानगढ़ की पहाड़ियां न केवल गोविंद गुरु संकल्प साक्षी है बल्कि उन 1500 जनजाति वीर, वीरांगनाओं के चट्टानी हौसलों साक्षात इतिहास जिन्होंने अंग्रेजों की तोपों के सामने छाती, तलवारों के आगे सर,बन्दूकों के आगे माथे अड़ा दिये थे
वो मिटे लेकिन हटे नही!बलिदान हो गये लेकिन झुके नही.

इस दौरान मोहन नारायण ने रानी दुर्गावती, भगवान बिरसा मुंडा, रानी रानी गाइदिन्ल्यू, टंट्या मामा भील, भीमा नायक, तिलका मांझी जैसे आदिवासी नायकों के योगदान पर प्रकाश डाला.

दरअसल, भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान (IIT) भिलाई, जीईएसी रायपुर एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “जनजाति नायकों का स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान” विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया. इस अवसर पर श्री अनंत नायक जी (सदस्य एनसीएसटी, भारत सरकार), EVM के आविष्कार और IIT रायपुर के निदेशक प्रो. रजत मूना जी, IIT दिल्ली के प्रो.विवेक कुमार जी उपस्थित रहें.कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रोफेसर, बुद्धिजीवी, शोधार्थी, वैज्ञानिक और छात्र शामिल हुए.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button